Move to Jagran APP

श्रीगंगा सभा ने किया आनलाइन अस्थि विसर्जन का विरोध, अध्यक्ष ने बयान को बताया गलत

हरकी पैड़ी की प्रबंध कार्यकारिणी संस्था श्री गंगा सभा ने उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की मुक्ति योजना का विरोध किया है। इस संबंध में श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा कि इस योजना का पुरजोर विरोध किया जाएगा। यह हम पुरोहितों का परंपरागत अधिकार है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 04:15 PM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 04:15 PM (IST)
श्रीगंगा सभा ने किया आनलाइन अस्थि विसर्जन का विरोध, अध्यक्ष ने बयान को बताया गलत
श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। हरकी पैड़ी की प्रबंध कार्यकारिणी एवं तीर्थ पुरोहितों की शीर्ष संस्था श्रीगंगा सभा ने उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के आनलाइन अस्थि विसर्जन संस्कार योजना का खुला विरोध किया है। श्रीगंगा सभा ने इसे भारतीय धार्मिक परंपरा के खिलाफ बताते हुए दो टूक कहा है कि उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की सनातन धर्म विरोधी इस योजना को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, यह अधिकार केवल तीर्थ पुरोहितों को ही है और श्रीगंगा सभा किसी व्यक्ति या संस्था को इसका अतिक्रमण नहीं करने देगी।

loksabha election banner

श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने इस संदर्भ में योजना का सराहना करते मीडिया में आए उनके बयान को मनगढ़ंत बताते हुए कहाकि उन्होंने इस तरह का कभी कोई बयान दिया ही नहीं। कहाकि यह योजना धर्म विरोधी है और वह श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष होने के नाते और निजी तौर पर भी इसका विरोध करते हैं। उन्होंने और श्रीगंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने संस्कृत अकदामी के सचिव आनंद भारद्वाज को संस्कृत के प्रचार-प्रसार के अपने मूलकार्य पर ध्यान देने की नसीहत देते हुए दो टूक कहा कि इस तरह की योजना को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, आवश्यकता पड़ने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष भी संस्कृत अदाकमी के सचिव की इस नापाक हरकत को उठाया जाएगा। मांग की कि संस्कृत के उत्थान और प्रचार-प्रसार के अपने मूल कार्य को करने की बजाए सनातन धर्म को नुकसान पहुंचाने वाले इस तरह के धर्म विरोधी कार्य करने की योजना बनाने वाले अधिकारियों-पदाधिकारियों को चिंहित कर दंडित किया जाए।

उत्तराखंड संस्कृत अदाकमी 'मुक्ति योजना' के तहत देश-विदेश में रह रहे उन आमजन के लिए आनलाइन अस्थि विसर्जन कराने की पहल कर रही थी, जो किन्हीं कारणों के चलते तीर्थस्थल पर नहीं पहुंच पाते। योजना के मुताबिक उत्तराखंड संस्कृत अकादमी कोरियर से अस्थियां अकादमी के पते पर मंगा अपने स्तर से धार्मिक कर्मकांड अनुसार संबंधित का अस्थि विर्सजन करेगी, जिसमें इंटरनेट के माध्यम से आनलाइन परिवार के सदस्य जुड़े सकेंगे। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी ने इसके लिए विदेश से आने वाली अस्थियों के विसर्जन के लिए सौ डॉलर शुल्क लिया जाएगा। अकदामी ने इसके लिए अकादमी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के बाद इस सुविधा का लाभ देने की बात कही थी। देश में रह रहे आमजन के लिए शुल्क का निर्धारण फिलहाल तय नहीं किया गया था। अकादमी के सचिव आनंद भारद्वाज ने दावा किया था कि रीति-रिवाज के अनुसार कर्मकांड संबंधित पंडों के माध्यम से सम्पन्न कराया जाएगा। इस बारे में जानकारी आम होते ही तीर्थ पुरोहितों की शीर्ष संस्था श्रीगंगा सभा इसके विरोध में उतर आई।

गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा के मुताबिक उन्होंने इस तरह की पहल की कभी सराहना नहीं की, ऐसा कोई बयान उन्होंने दिया ही नहीं। कहाकि, उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि धार्मिक मान्यता है कि यदि कोई हरिद्वार अस्थि विसर्जन करने आने में असमर्थ है तो वह मंदिर, लाकर, पेड़ पर टांगकर या अन्य किसी सुरक्षित स्थान पर अस्थियों को रख सकता है।

भविष्य में जब भी उसे समय मिले वह हरिद्वार आकर अस्थियां प्रवाहित कर सकता है, लेकिन इस बयान को गलत तरीके से 'अपने तीर्थ पुरोहित को अस्थियां भेजकर आनलाइन विसर्जित करा सकता हैं' के तौर पर पेश कर दिया गया। महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहाकि हजारों वर्षों से हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों और यजमानों का संबंध चला आ रहा है। यजमान अपने स्वजनों के अस्थि प्रवाह के लिए तीर्थ पुरोहितों से सीधा संपर्क करते हैं। इसमें किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं है। यह कार्य आस्था और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। इसके लिए पुरोहितों ने कोई शुल्क निर्धारित नहीं किया हुआ है। संस्कृत अकादमी अपने मूल उद्देश्यों से भटककर अस्थिप्रवाह जैसे धार्मिक कार्यो में अनावश्यक हस्तक्षेप कर, इसे व्यवसाय का स्वरूप देने की कोशिश कर रही है।

श्रीगंगा सभा के के अध्यक्ष और महामंत्री दोनों ने कहा कि उत्तराखंड स्ंस्कृत अकादमी की इस योजना का पुरजोर विरोध किया जाएगा। यह पुरोहितों का परंपरागत अधिकार है, इसमें किसी अन्य का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अच्छा हो कि संस्कृत अकादमी संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार और संस्कृत विद्यालयों की व्यवस्था पर ध्यान दे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.