Shradha Paksha 2025 : 7 सितंबर से शुरू हो रहे श्राद्ध, इस बार तिथियों का विशेष संयोग
Shradha Paksha 2025 श्राद्ध पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है। इस बार तिथियों के घटने-बढ़ने के कारण पंचमी और षष्ठी का श्राद्ध 12 सितंबर को होगा। श्राद्ध के पहले दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है जिसका असर श्राद्ध पर नहीं होगा। पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने से वे प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध पक्ष 21 सितंबर को समाप्त होगा।

जागरण संवाददाता, रुड़की। श्राद्ध पक्ष सात सितंबर से प्रारंभ होंगे। इस बार तिथियों के घटने-बढ़ने से पंचमी और षष्ठी का श्राद्ध एक ही दिन 12 सितंबर को किया जाएगा। वहीं इस वर्ष पितृ पक्ष की खास बात यह है कि श्राद्ध प्रारंभ होने के दिन ही चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। क्योंकि चंद्र ग्रहण रात्रि में लगेगा, इसलिए श्राद्ध में इसका कोई व्यवधान नहीं होगा।
भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक 16 दिन श्राद्ध होते हैं। ऐसी माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में यमराज की आज्ञा से पितृ सूक्ष्म रूप से पृथ्वी लोक पर निवास करते हैं और स्वजन से श्राद्ध की आशा करते हैं।
श्राद्ध नहीं करने से पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि पितृों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने को ही श्राद्ध कहा जाता है। इस दौरान पितृों के प्रति श्राद्ध कर्म, ब्राह्मण भोजन, तर्पण, पिंडदान आदि करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
वहीं पितृों का श्राद्ध नहीं करने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि सात सितंबर को ग्रहण का समय रात में लगभग 9:50 से 1:25 तक रहेगा। वहीं चंद्र ग्रहण का सूतक नौ घंटे पूर्व लगभग अपराह्न में 12:50 से प्रारंभ हो जाएगा। ऐसे में इससे पहले ही पूर्णिमा का श्राद्ध संपन्न करना होगा। उन्होंने बताया कि 21 सितंबर को श्राद्ध पक्ष संपन्न होंगे।
इस तिथि में होगा ये श्राद्ध
- 7 सितंबर- पूर्णिमा का श्राद्ध (अपराह्न 12:50 से पहले)
- 8 सितंबर- प्रतिपदा का श्राद्ध
- 9 सितंबर- द्वितीय का श्राद्ध
- 10 सितंबर - तृतीया का श्राद्ध
- 11 सितंबर- चतुर्थी का श्राद्ध
- 12 सितंबर- पंचमी एवं षष्ठी का श्राद्ध
- 13 सितंबर- सप्तमी का श्राद्ध
- 14 सितंबर- अष्टमी का श्राद्ध
- 15 सितंबर - नवमी/मातृ नवमी/सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध
- 16 सितंबर - दशमी का श्राद्ध
- 17 सितंबर- एकादशी/संन्यासियों का श्राद्ध
- 18 सितंबर- द्वादशी का श्राद्ध
- 19 सितंबर - त्रयोदशी का श्राद्ध
- 20 सितंबर - चतुर्दशी/अकाल मृत्यु/दुर्घटना आदि से मृत व्यक्तियों का श्राद्ध
- 21 सितंबर- अमावस्या/ज्ञात-अज्ञात/पितृ विसर्जन श्राद्ध
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