Haridwar: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बोले, संस्कृत भारतीय ज्ञान परंपरा की आधारशिला
हरिद्वार में, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संस्कृत भारतीय ज्ञान परंपरा की आधारशिला है। उन्होंने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला, जिसमें उच्च स्तरीय आयोग का गठन और नई शिक्षा नीति में संस्कृत को शामिल करना शामिल है। पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उत्तराखंड को संस्कृत को द्वितीय राजभाषा घोषित करने वाला पहला राज्य बताया।

अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन में संबोधित करते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: संस्कृत अकादमी में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन के समापन समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संस्कृत भारतीय ज्ञान परंपरा की आधारशिला है।
वर्तमान समय में वैज्ञानिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान में भारतीय ज्ञान परंपरा और देवभाषा संस्कृत का महत्वपूर्ण योगदान है।
कहा कि देवभूमि उत्तराखंड सदियों से संस्कृत का केंद्र रहा है। राज्य में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्रदान करना इसी विरासत का सम्मान है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विद्यालयों में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सतत प्रयासरत है। इस अवसर पर उन्होंने संस्कृत भाषा के उत्थान एवं विकास के लिए उच्च स्तरीय आयोग के गठन की भी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि संस्कृत में वर्णित जीवन मूल्य एवं सांस्कृतिक विरासत अंतरराष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करते हैं। वैश्विक स्तर पर संस्कृत भाषा और भारतीय ज्ञान परंपरा पर लगातार चिंतन और मंथन हो रहा है। इसका प्रमाण अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन है।
उन्होंने कहा कि दुनिया की कई भाषाओं की जड़ें संस्कृत से जुड़ी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति में संस्कृत को आधुनिक और व्यवहारिक भाषा के रूप में स्थापित करने की पहल की गई है।
उन्होंने बताया कि संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों को छात्रवृत्ति भी उपलब्ध कराई जा रही है। कहा कि संस्कृत को आधुनिक और व्यवहारिक भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए ई-संस्कृत शिक्षण प्लेटफार्म, मोबाइल एप्स, आनलाइन साहित्य से नई पीढ़ी तक पहुंचाया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने संस्कृत को द्वितीय राजभाषा घोषित किया है। देवभूमि प्राचीन काल से भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल भाषा ही नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है।
रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली पर केंद्रित ऐसे सम्मेलन संस्कृत प्रेमियों और शोधार्थियों को दिशा प्रदान करते हैं।
विदेश मंत्रालय की सचिव डा. नीना मल्होत्रा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन संस्कृत भाषा के वैश्विक प्रचार-प्रसार का एक ठोस कदम साबित होगा।
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय भारतीय ज्ञान प्रणाली को वैश्विक मंच पर प्रसारित करने के लिए प्रतिबद्ध है। संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार गैरोला ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शोधार्थियों के लिए संस्कृत के क्षेत्र में नए अवसरों के द्वार खोलेगा।
सम्मेलन में विश्व के 11 देशों के विद्वानों ने प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा ने सदैव मानवता को जोड़ने का कार्य किया है। इस मौके पर संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री, कुलसचिव दिनेश कुमार राणा आदि मौजूद रहे।

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