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पिरान कलियर दरगाह के निलंबित प्रबंधक की आलमारी खुली तो कई सच आए सामने, पाकिस्तानी नोटों की चादर समेत मिला ये सामान

हरिद्वार जिले में करीब पौने तीन महीने पहले रिश्वत लेने के आरोप में पकड़े गए दरगाह पिरान कलियर के तत्कालीन प्रबंधक की आलमारी खुली तो कई सच और सामने आए। आलमारी में पाकिस्तानी नोटों की आठ चादरों में समेत कीमती आभूषण मिले।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 09:31 AM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 09:31 AM (IST)
पिरान कलियर दरगाह के निलंबित प्रबंधक की आलमारी खुली तो कई सच आए सामने, पाकिस्तानी नोटों की चादर समेत मिला ये सामान
पिरान कलियर दरगाह के निलंबित प्रबंधक की आलमारी खुली तो कई सच आए सामने।

संवाद सूत्र, कलियर(हरिद्वार)। उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में करीब पौने तीन महीने पहले रिश्वत लेने के आरोप में पकड़े गए दरगाह पिरान कलियर के तत्कालीन प्रबंधक की आलमारी खुली तो कई सच और सामने आए। आलमारी में पाकिस्तानी नोटों की आठ चादरों में समेत कीमती आभूषण मिले। ये दरगाह के रिकार्ड में दर्ज नहीं थे। आशंका जताई जा रही है कि गोलमाल करने की नीयत से आरोपित ने इन्हें आलमारी छिपाकर रखा हुआ था। एसडीएम अपूर्वा पांडे ने बताया कि पूरे मामले की जांच कराई जा रही है। एएसडीएम पूरण सिंह राणा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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विजिलेंस की टीम ने नौ जून को दरगाह पिरान कलियर के तत्कालीन प्रबंधक हारून अली को 10 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था। उसने उपस्थिति पंजिका में नाम दर्ज करने के एवज में दरगाह के सुपरवाइजर सिकंदर से रिश्वत की यह रकम मांगी थी। विजिलेंस की कार्रवाई के बाद आरोपित के कार्यालय को सील कर दिया गया था। इस बीच, आरोपित को दरगाह के प्रबंधक पद से निलंबित भी कर दिया गया।

मंगलवार को ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अपूर्वा पांडे के निर्देश पर अपर तहसीलदार सुदेश पाल सैनी ने तत्कालीन प्रबंधक के कार्यालय की सील खुलवाई। कार्यालय में रखी अलमारी को खोली तो अधिकारी हैरान रह गए। वीडियोग्राफी के साथ पूरी कराई गई इस प्रक्रिया में आरोपित की अलमारी से पाकिस्तान के नोटों की करीब आठ चादर मिली। इसके अलावा सौ रुपये, बीस रुपये और पांच रुपये के भारतीय नोटों की चादरें, चांदी के आभूषण, मोतियों का सेहरा, कीमती पगड़ियां और दरगाह से जुड़ी महत्वपूर्ण पत्रावलियां बरामद हुई हैं।

अधिकारियों के मुताबिक दरगाह के किसी भी पदाधिकारी को वहां चढ़ाया गया कोई सामान और नकदी अपने पास रखने का अधिकार नहीं है। उन्हें इसे दरगाह के स्टोर में जमा कराना होता है। दरगाह के रिकार्ड को खंगालने पर पता चला कि आलमारी में से मिला कोई भी सामान रिकार्ड में दर्ज नहीं था।

अधिकारियों के मुताबिक दरगाह पर चढ़ाई जाने वाली विदेशी मुद्रा को दरगाह के खातों वाले बैंक को दी जाती हैं, वहां से इसके बराबर भारतीय करेंसी दरगाह के खातों जमा की जाती है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अपूर्वा पांडे ने बरामद सामान की सूची तैयार कर ली गई है। तत्कालीन प्रबंधक ने इसे अपनी आलमारी में क्यों रखा था, इसकी जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि पूरे प्रकरण की विस्तृत बैठाई गई है।

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