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हिमालय में गैर हिदुओं का प्रवेश वर्जित करने को अध्यादेश लाए सरकार

शांभवी धाम के पीठाधीश्वर और शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने हिदू समाज में व्याप्त जाति प्रथा को खत्म कर एकजुट होने आह्वान किया। साथ ही केंद्र व उत्तराखंड सरकार से हिमालय में गैर हिदुओं का प्रवेश वर्जित करने को अध्यादेश लाए जाने की मांग की।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 09:34 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 09:34 PM (IST)
हिमालय में गैर हिदुओं का प्रवेश वर्जित  करने को अध्यादेश लाए सरकार
हिमालय में गैर हिदुओं का प्रवेश वर्जित करने को अध्यादेश लाए सरकार

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : शांभवी धाम के पीठाधीश्वर और शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने हिदू समाज में व्याप्त जाति प्रथा को खत्म कर एकजुट होने आह्वान किया। साथ ही केंद्र व उत्तराखंड सरकार से हिमालय में गैर हिदुओं का प्रवेश वर्जित करने को अध्यादेश लाए जाने की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि यदि विधानसभा चुनाव से पहले अध्यादेश लागू नहीं किया गया तो संत समाज को साथ लेकर चुनाव में भाजपा का विरोध किया जाएगा।

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बुधवार को शांभवी धाम में अंतरराष्ट्रीय युवा परिषद उत्तराखंड के पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने यह बात कही। कहा कि मदन मोहन मालवीय के साथ हुए समझौते के आधार पर हिमालय में गैर हिदुओं का प्रवेश वर्जित करने के लिए सरकार तत्काल अध्यादेश लागू करे। स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड का हिदू युवा आज पलायन के लिए मजबूर है। पलायन तब रुकेगा, जब सनातन धर्म के मंदिर सनातनियों के पास हों और उससे चलने वाले पूरे व्यवसाय पर पूरा अधिकार हिदुओं का हो। इस मौके पर महेश स्वरूप महाराज, महामंडलेश्वर राघवेंद्र भारती, काला शाह काले बाबा, आशीष बलूनी, गौरव कुमार, नीरज रावत, मुकेश मिश्रा, सचिन, अरविद सिंह राणा आदि मौजूद रहे। जल्द एक हो जाएगा अखाड़ा परिषद

हरिद्वार : शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने अखाड़ा परिषद को लेकर हो रहे विवाद पर चिता व्यक्त की। सम्मेलन के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने प्रयागराज में हुए परिषद के चुनाव को जायज बताया है। उम्मीद जताई कि अखाड़ा परिषद जल्द एक हो जाएगा। उन्होंने बैरागी संतों के सहयोग से चुने गए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविद्र पुरी महाराज से भी प्रयागराज में चुने गए दूसरे अखाड़ा परिषद को समर्थन देने की अपील की है। कहा कि अखाड़ा परिषद दशनाम संन्यासियों का संगठन है। इसलिए अखाड़ा परिषद में बैरागी अखाड़ों (वैष्णव) के शामिल होने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि अखाड़ा परिषद जल्दी से जल्दी एक हो। कहा कि वैष्णव संप्रदाय में अखाड़े की परंपरा नहीं है, वैसे भी वे बैरागी अखाड़ों के विरोधी नहीं है।


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