हरिद्वार में स्वामी कैलाशानंद गिरि से मिले मौलाना अरशद मदनी, कहा- कामन सिविल कोड से सहमत नहीं
शनिवार को हरिद्वार में मौलाना अरशद मदनी ने निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि से मुलाकात में उन्होंने धर्म राजनीति और देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की। मतांतरण और कामन सिविल कोड पर दोनों के बीच लंबी चर्चा हुई।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: जमीयत-उलेमा-ए-हिंद और मदरसा दारुल उलूम देवबंद के सदर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि वह कामन सिविल कोड से सहमत नहीं हैं।
जबरन मतांतरण का वह समर्थन नहीं करते। शनिवार को हरिद्वार में निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि से मुलाकात में उन्होंने धर्म, राजनीति और देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की।
मतांतरण और कामन सिविल कोड पर लंबी चर्चा हुई
स्वामी कैलाशानंद गिरि ने धर्मगुरु सैय्यद अरशद मदनी का शाल ओढ़ाकर स्वागत किया। मतांतरण और कामन सिविल कोड पर दोनों के बीच लंबी चर्चा हुई।
मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में स्वामी कैलाशनंद गिरि ने कहा कि धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी से अहम मामलों पर सकारात्मक चर्चा हुई है, जिसका देश व समाज में अच्छा संदेश जाएगा।
दोनों पक्षों के बीच विवाद खड़ा करती रहती हैं सियासी पाटियां
सरसंघ चालक से भेंट के दौरान भी मौलाना अरशद मदनी ने इन्हीं मुद्दों पर चर्चा की थी। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि अरशद मदनी से फिर भेंटकर देश व समाज को अच्छा संदेश देने का प्रयास किया जाएगा।
वहीं, मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि स्वामी कैलाशानंद गिरि से भेंटकर बहुत अच्छा लगा। हमारे देश में हिंदू-मुसलमान सदियों से अमन-चैन के साथ मिल-जुलकर रहते आ रहे हैं। लेकिन, सियासी पाटियां दोनों पक्षों के बीच विवाद खड़ा करती रहती हैं।
उन्होंने कहा कि यदि दोनों ओर से धर्मगुरुओं की आवाज एक-साथ उठेगी तो मुल्क में अमन-कायम होगा। मौलाना मदनी ने कहा कि मतांतरण जबरन नहीं हो सकता है। ये स्वयं की इच्छा से होता है।
जबरन किए गए मतांतरण का कोई वजूद नहीं है। कामन सिविल कोड पर उन्होंने कहा कि जब मुल्क आजाद हुआ तो सेक्यूलर दस्तूर बनाया गया, जिसका मतलब है कि हर आदमी को अपनी पसंद के मजहब को अपनाने का अधिकार है। सरकार का कोई मजहब नहीं है। किसी को किसी धर्म का पाबंद नहीं किया जा सकता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।