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    अमृत धारा में डुबकी लगाकर गदगद हो उठे श्रद्धालु, कुंभ स्नान की आस्था लेकर पहुंचे थे धर्मनगरी; जानिए क्या बोले

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Thu, 14 Jan 2021 06:24 PM (IST)

    Makar Sankranti 2021 भले ही मकर संक्राति स्नान को कुंभ स्नान में शामिल नहीं किया गया लेकिन देशभर से श्रद्धालु जेहन में कुंभ स्नान की आस्था लेकर ही कुंभनगरी पहुंचे थे। मोक्षदायिनी गंगा की अमृत धारा में डुबकी लगाकर श्रद्धालु गदगद हो उठे।

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    अमृत धारा में डुबकी लगाकर गदगद हो उठे श्रद्धालु। जागरण

    संवाद सहयोगी, हरिद्वार। Makar Sankranti 2021 भले ही मकर संक्राति स्नान को कुंभ स्नान में शामिल नहीं किया गया, लेकिन देशभर से श्रद्धालु जेहन में कुंभ स्नान की आस्था लेकर ही कुंभनगरी पहुंचे थे। मोक्षदायिनी गंगा की अमृत धारा में डुबकी लगाकर श्रद्धालु गदगद हो उठे। हर किस की जुबां पर हर हर गंगे का ही उदघोष था। मानो गंगा की गोद में डुबकी लगाकर हर श्रद्धालु की मनचाही ख्वाहिश पूरी हो गई हो। श्रद्धालुओं के चेहरे पर कोरोना को लेकर चिंता की लकीरें जरुर दिखाई दीं, लेकिन आस्था की डोर से बंधकर वे यहां चले आए।  

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    कुंभनगरी में मकर संक्राति स्नान पर्व पर रौनक देखते ही बन रही थी। विशेषकर हरकी पैड़ी और उससे सटे गंगा घाटों पर श्रद्धालु आस्था में सराबोर दिखाई दिए। सुदूर झारखंड के धनबाद से यहां पहुंचे संतोष कुमार गंगा स्नान के बाद अभिभूत दिखाई दिए। पूछने पर बोले कि कुंभ स्नान की आस्था लेकर यहां पहुंचे थे। बकौल संतोष 'मन बेहद ही प्रसन्न है, लेकिन  किसी ने भी कोविड नेगेटिव की रिपोर्ट नहीं मांगी। वे ट्रेन से यहां पहुंचे और कहीं भी थर्मल स्क्रीनिंग नहीं हुई। जम्मू के बड़गांव से पहुंची महिला श्रद्धालु शीतला देवी बोली कि सुना है कि कुंभ स्नान से अमृत की प्राप्ति होती है। इसी कामना के साथ वे यहां स्वजन के साथ पहुंची है। गंगा मैय्या में डुबकी लगातार ही बेहद ही आनंद मिला। 

    झारखंड की रहने वाली मनदीप देवी बोली कि कोरोना का डर मन में था, लेकिन आस्था उन्हें यहां खींच लाई। उन्होंने कहा कि वे इसे कुंभ स्नान ही मानती हैं। उन्हें स्नान पर्व की घोषणा से कोई मतलब वास्ता नहीं है। प्रदेश के ही पिथौरागढ़ से पहुंची 75 वर्षीया सीतादेवी की माने तो इस स्नान पर्व में पहुंचकर असीम सुख की प्राप्ति हुई है। कोरोना का डर भी था, लेकिन बस स्नान पर्व पर पहुंचने की बात ठानी हुई थी। जम्मू के डोडा जिले से आए सोमनाथ बोले कि कोरोना से अब डर नहीं रहा, स्नान का मौका फिर भला कैसे मिलता इसलिए दौड़ा चला आया। हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले से आए रघुवीर प्रसाद की मानें तो वह चालीस साल से हरिद्वार आ रहे हैं। डरा था कि कोरोना के कारण इस बार कैसे पहुंचेंगे, लेकिन वह अकेले ही यहां आ गए। स्वजनों को इस डर से नहीं लेकर आए। स्नान कर आत्म सुख की प्राप्ति हुई। 

    वहीं, हरियाणा के गुरुग्राम और दिल्ली के शाहदरा से आए प्रताप सिंह व राजेश मनचंदा बोले कि वह कोरोना की गाइड लाइन पर निगाह बनाए हुए थे। उन्हें जैसे ही पता चला कि कोई रोक-टोक नहीं है वह दौड़े चले आए। उन्होंने कहा, वे कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते रहे। इसी तरह उत्तरप्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा से पहुंचे श्रद्धालु भी इसे कुंभ स्नान मानकर गंगा में गोता लगाते रहे।

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