कच्ची शराब पीने वालों के घर बिके, बेचने वालों की बनी कोठियां
उत्तराखंड की सीमा से सटे दर्जनों गांव दशकों से कच्ची शराब का दंश झेल रहे हैं। शराब के दलदल में फंसकर कई परिवार उजड़ गए हैं।
रुड़की, मेहताब आलम। उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की सीमा से सटे दर्जनों गांव दशकों से कच्ची शराब का दंश झेल रहे हैं। शराब के दलदल में फंसकर कई परिवार उजड़ गए हैं। उनके घर और खेती की जमीनें तक बिक गई। जबकि शराब बनाने और बेचने वालों ने कोठियां खड़ी कर ली हैं। उनके परिवार के लोग लग्जरी गाडिय़ों में घूमते हैं। वहीं, शराब पीने के आदी हुए लोगों के घरों में भरपेट खाना मुश्किल से मयस्सर होता है। जहरीली शराब से 14 से अधिक लोगों की मौत होने के बाद ग्रामीणों का यह दर्द खुलकर लोगों की जुबां पर आया।
कच्ची शराब बनाने और तस्करी में अकेले बाल्लूपुर गांव के लगभग 22 लोग जुड़े हुए हैं। जबकि भट्टियों से शराब उठाकर उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के गांवों में तस्करी करने वाले 50 से ज्यादा लोग सक्रिय रूप से इस धंधे में शामिल हैं। बाल्लुपुर गांव के कई परिवार कच्ची शराब के धंधे से इतने संपन्न और प्रभावशाली हो चुके हैं कि उन्होंने शहर (रुड़की व सहारनपुर) में कोठियां बना ली हैं। उनके बच्चे महंगे पब्लिक स्कूलों में पढ़ रहे हैं और परिवार के लोग लग्जरी कारों से चलते हैं। जबकि शराब पीने वाले अधिकांश लोग दूसरों के खेतों में मजदूरी करते हैं। बाल्लुपुर में 40 साल से अधिक उम्र के ज्यादातर लोग शराब माफिया की इस संपन्नता के चश्मदीद गवाह हैं। शराब की लत में पड़कर घरों को बरबाद होते भी इन्हीं ग्रामीणों ने अपनी आंखों से देखा है। कच्ची शराब बनाने वाले इतने प्रभावशाली बताए जाते हैं कि बार-बार खिलाफ आवाज उठाने पर भी उनका कुछ नहीं बिगड़ा। शुक्रवार को ग्रामीणों की दबी जुबां पर बर्बादी का दर्द खूब छलका। नई पीढ़ी के नशे की गिरफ्त में आने पर उनके भविष्य की ङ्क्षचता भी परिजनों के माथे पर साफ नजर आई। वहीं आंखों में कई सवाल भी तैरते दिखे कि जो लोग इन मौत के जिम्मेदार हैं, क्या उनको सजा मिल पाएगी और क्या अब शराब के दानव से आजादी मिल पाएगी।
पहले भी बुझे हैं घरों के चिराग
शुक्रवार को जहरीली शराब पीने से अकाल मौत का शिकार हुए अधिकांश लोगों की उम्र 35 से 50 वर्ष के बीच है। सभी शादीशुदा और कई बच्चों के पिता थे। एक झटके में कितने ही बच्चे अनाथ हो गए, कितनी महिलाओं के माथे का ङ्क्षसदूर मिट गया और कितने मां-बाप से उनके बेटे हमेशा के लिए दूर चले गए। ग्रामीण बताते हैं कि शराब के दलदल में फंसकर इससे पहले भी कई घरों के चिराग बुझे हैं।
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