Updated: Sun, 13 Jul 2025 07:35 PM (IST)
हरिद्वार-दिल्ली हाईवे पर कांवड़ मेले के तीसरे दिन पुलिस की सख्ती के बावजूद 40% कांवड़ यात्रियों द्वारा हाईवे का उपयोग करने से यातायात बाधित हुआ। हरिद्वार से निकलते ही यात्रियों के पड़ाव बन गए हैं जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने कांवड़ पटरी मार्ग का सुझाव दिया था पर कई यात्री हाईवे पर अड़े हैं जिससे स्थिति गंभीर है।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। कांवड़ मेले के तीसरे दिन हरिद्वार-दिल्ली हाईवे पर हरिद्वार से जाने वाले रूट के आधे हिस्से पर कांवड़ यात्रियों का कब्जा हो गया है। पुलिस की तमाम प्लानिंग और रोक-टोक के बावजूद करीब 40 प्रतिशत कांवड़ यात्री हाईवे से गुजर रहे हैं। रात के समय तो पूरा हाइवे ही कांवड़ यात्रियों के कब्जे में आ जाता है।
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हरिद्वार से निकलते ही हाईवे पर जगह-जगह कांवड़ यात्रियों के अस्थाई पड़ाव नजर आ रहे हैं। हाईवे के आधे हिस्से पर आम यातायात गुजर रहा है। जिससे हादसे और फिर बवाल का खतरा बढ़ रहा है। कांवड़ मेले के पहले हफ्ते में पुलिस प्रशासन ने केवल कांवड़ पटरी मार्ग से यात्रा संचालित करने की तैयारी की थी। ताकि हाईवे पर ज्यादा समय से यातायात सुचारू बना रहे।
इसी प्लानिंग के तहत कांवड़ यात्रियों को शंकराचार्य चौक से कांवड़ पटरी मार्ग पर भेजा जा रहा है। लेकिन कांवड़ यात्री हाईवे से जाने की जिद पर अड़े हुए हैं। काफी रोकथाम के बावजूद 40 फीसद कांवड़ यात्री हाइवे से ही अपनी यात्रा कर रहे हैं। हरिद्वार से निकलकर सिंहद्वार पार करते ही गुरुकुल कांगड़ी समविवि के बाहर कांवड़ यात्रियों का पहला पड़ाव आता है।
यहां आस-पास बड़ी संख्या में खाने-पीने के सामान की दुकानें लगी हुई हैं। कांवड़ यात्री जलपान करने के लिए अपनी-अपनी कांवड़ हाइवे पर रख रहे हैं। जिससे गुरुकुल से लेकर सीतापुर फ्लाइओवर शुरू होने तक हाइवे का आधा हिस्सा कांवड़ यात्रियों के कब्जे में है। यही हाल हरिलोक तिराहे से रानीपुर झाल, बहादराबाद तक बना हुआ है।
आधे हिस्से पर कांवड़ यात्री और उनके वाहन हैं, बाकी आधे हिस्से पर रोडवेज बस, कार व दुपहिया वाहन दौड़ रहे हैं। कांवड़ खंडित होने पर लगातार सामने आ रहे बवाल को देखते हुए हाइवे पर आम यातायात के बीच कांवड़ यात्रियों की बढ़ती संख्या खतरे की घंटी बजा रही है।
ट्राली के साथ पैदल कांवड़ भी हाईवे पर
हरिद्वार: समूह में कांवड़ ले जाने वाले यात्री अमूमन ट्राली वाली कांवड़ ले जाते हैं। ऐसी कांवड़ नहर पटरी मार्ग से गुजरना संभव नहीं है। इसलिए ट्राली वाली कांवड़ को हाइवे से निकाला जा रहा है। उसके पीछे-पीछे बड़ी संख्या में एकल व पैदल कांवड़ ले जाने वाले कांवड़ यात्री भी हाईवे से गुजर रहे हैं। जिससे हादसे का खतरा बना हुआ है।
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