भारतीय संस्कृति और मूल्यों का आधार है संस्कृत
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से संस्कृत के प्रचार-प्रसार के ि
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए अखिल भारतीय शलाका प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। वेदशलाका प्रतियोगिता में दिल्ली के विजय शर्मा प्रथम रहे। साहित्य शलाका में हिमाचल प्रदेश के विनायक शर्मा अव्वल रहे। मुख्य अतिथि विधायक आदेश चौहान ने विजेताओं को पुरस्कृत किया।
मुख्य अतिथि विधायक आदेश चौहान ने कहा संस्कृत के बिना हम संस्कृति, संस्कार, सभ्यता, इतिहास और विज्ञान को जान नहीं सकते। संस्कृत सबसे सरल भाषा है। संस्कृत के 70 फीसद शब्द सभी भाषाओं में विद्यमान हैं। वेद शलाका में विजय शर्मा ने पहला, भोपाल के मनोज तिवारी ने दूसरा और हिमाचल प्रदेश के रोहित खजुरिया ने तीसरा स्थान हासिल किया है। साहित्य शलाका में हिमाचल प्रदेश के विनायक शर्मा पहले, देहरादून की मीरा बारिक दूसरे और हिमाचल के तनु ठाकुर तीसरे स्थान पर रहे। र्शन शलाका में देहरादून की दीप्ति आर्या प्रथम रहीं। व्याकरण शलाका में हरिद्वार के दीपक उनियाल प्रथम, देहरादून के भारत कुमार दूसरे और आकाश तीसरे स्थान पर रहे। निर्णायक प्रोफेसर मान ¨सह, राधेश्याम चतुर्वेदी, कांता प्रसाद बडौला, रामचंद्र वैजापुरकर, अंबरीश काला, प्रदीप पांडेय रहे।
विशिष्ट अतिथि भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. भोला झा ने कहा कि संस्कृत भाषा किसी जाति, क्षेत्र, राज्य व देश की भाषा नहीं, यह तो ब्रह्मांड की भाषा है। डॉ. जुगल किशोर पेटसाली ने कहा कि संस्कृत की समृद्धि सबके लिए जरुरी है। अकादमी के सचिव गिरधर ¨सह भाकुनी ने कहा कि संस्कृत के संवर्धन से ही विश्व की संस्कृति कल्याणकारी हो सकती है। संचालन शोध सहायक डॉ. सीएसआर ¨लगारेडी ने किया। इस दौरान कोषाध्यक्ष नवीन नैथानी, भगीरथ शर्मा, डॉ. हरीश चंद्र गुरुरानी, किशोरी लाल रतूड़ी आदि मौजूद थे।