Haridwar Stampede: एक तरफ पहाड़-दूसरी ओर खाई, श्रद्धालुओं को रौंदती गई भीड़; चीत्कार में बदले माता के जयकारे
Haridwar Stampede हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़ मच गई जिससे श्रद्धालुओं में चीख-पुकार मच गई। मंदिर की सीढ़ियों पर भारी भीड़ के कारण भगदड़ हुई जिसमें कई लोग घायल हो गए। कांवड़ यात्रियों के हुड़दंग ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। एसडीआरएफ ने खाई में खोज अभियान चलाया लेकिन कोई नहीं मिला। रैंप मार्ग पर भी अफरा-तफरी मची रही।

मेहताब आलम, जागरण हरिद्वार। Haridwar Stampede: ‘मनसा मैया की जय’, ‘सच्चे दरबार की जय’, श्रद्धालु आम दिनों में ऐसे जयकारे लगाते हुए मंदिर की सीढ़ियां चढ़ते जाते हैं, लेकिन रविवार का नजारा कुछ अलग था। आधी सीढ़ियां चढ़ने पर ही भीड़ का एहसास होने लगा था। मंदिर से करीब 200 मीटर पहले आखिरी मोड़ से पक्की दुकानों तक भीड़ का ऐसा दबाव बढ़ा कि दम घुटने लगा।
तभी करंट फैलने का शोर मचने पर भगदड़ मच गई। एक तरफ पहाड़, दूसरी तरफ खाई। श्रद्धालुओं के लिए बचने की कोई जगह नहीं थी। चीख-पुकार के बीच हजारों की भीड़ उन्हें रौंदते हुए गुजर गई।
करंट की दहशत में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर के नीचे पक्की दुकानों में जा घुसे, जिससे दुकानों का सामान तहस-नहस हो गया। कई श्रद्धालु बेहोश हो गए, जबकि सैकड़ों काफी देर तक बदहवास रहे। कुल मिलाकर मंदिर परिसर से सीढ़ी तक 10 मिनट में पूरा परिदृश्य बदल गया।
10 मिनट बाद का नजारा भयावह
भीड़ से भगदड़ तक पूरा वाकया देखने वाले दुकानदारों ने बताया कि कांवड़ मेले के बाद मंदी छा जाती है। लेकिन, इस बार मेले के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। इससे दुकानदार खुश थे, लेकिन श्रद्धालुओं की यह भीड़ अनहोनी की आहट भी थी।
सभी रास्तों का इस्तेमाल मंदिर आने और जाने के लिए किया जाता है। घटना सुबह के वक्त होने के कारण केवल मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ थी। इनमें अधिकांश कांवड़ यात्री थे। भगदड़ मचने पर प्रसाद, सामान, चप्पल आदि छोड़कर श्रद्धालु अपनी जान बचाने के लिए इधर दौड़ पड़े। हर किसी को यही जल्दी थी कि आगे निकलकर अपनी और स्वजन की जान बचा ले।
सीढ़ी के एक ओर करीब 300 मीटर गहरी खाई और दूसरी तरफ पहाड़। न श्रद्धालु खाई में छलांग लगाकर बच सकते थे, न पहाड़ पर चढ़ने की ही स्थिति थी। श्रद्धालुओं में करंट की दहशत इतनी थी कि एक-एक दुकान में सौ-सौ जा घुसे। दुकानदारों ने उनकी जान बचाई।
करीब 10 मिनट बाद का नजारा भयावह था। सीढ़ियों पर केवल दबे और कुचले श्रद्धालुओं के शव पड़े हुए थे। कहीं प्रसाद बिखरा पड़ा था, कहीं चूड़ी और सिंदूर के पैकेट। दूर तक चप्पलों के ढेर नजर आ रहे थे। यह दर्दनाक नजारा देख दुकानदार सिहर उठे, जबकि अतिक्रमणकारी अपना सामान समेटकर और बाकी बारदाना पलटकर चलते बने।
कांवड़ यात्री करते रहे हुड़दंग
भगदड़ मचने पर कई कांवड़ यात्री हुड़दंग करते रहे। घायल श्रद्धालुओं ने आपबीती सुनाते हुए यह जानकारी दी। दुकानदारों ने भी इसकी पुष्टि की। दो सगे भाई मनोज गिरी और उपेंद्र गिरी ने बताया कि एक तरफ श्रद्धालुओं की जान जा रही थी, दूसरी तरफ कांवड़ यात्री मस्ती में चिल्ला रहे थे। दुकानदारों ने कांवड़ यात्रियों को जगह खाली करने के लिए कहा। लेकिन कई जत्थे ऐसे थे, जो भगदड़ के बाद भी सीढ़ी मार्ग से जाने की जिद पर अड़े थे।
दूसरे मार्ग पर भी अफरा तफरी
सीढ़ी मार्ग पर भगदड़ के दौरान रैंप मार्ग पर भी अफरा-तफरी मची रही। सीढ़ी मार्ग का प्रवेश द्वार और रोपवे का स्टेशन अगल-बगल है। राहत व बचाव कार्य शुरू होने पर श्रद्धालुओं को स्ट्रेचर से रोपवे स्टेशन पर लाया गया। जहां से उन्हें उड़न खटोले की मदद से नीचे उतारकर एंबुलेंस तक पहुंचाया गया। इस दौरान मंदिर परिसर में मौजूद श्रद्धालु सीढ़ी मार्ग के बजाय जल्दबाजी में रैंप मार्ग से नीचे उतरे।
खाई में चलाया सर्च आपरेशन
एसडीआरएफ के जवानों ने पहाड़ के बगल की खाई में घंटों तक सर्च आपरेशन चलाया। आशंका जताई जा रही थी कि भगदड़ के दौरान कहीं कोई श्रद्धालु खाई में न गिर गया हो। एसडीआरएफ के जवानों ने खाई और पूरा जंगल खंगाला, लेकिन कोई नहीं मिला।
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