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    Haridwar Stampede: भगदड़ में दबा ‘लला’, मंदिर तक नहीं पहुंच पाई विमला; जिसने भी सुना इस मां का दर्द, भर आई आंख

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 09:39 AM (IST)

    Haridwar Stampede हरिद्वार में हरियाली तीज पर मनसा देवी मंदिर के पास भगदड़ मच गई। इस हादसे में बरेली से आई विमला का बेटा आरुष (लला) भीड़ में दब गया और उसकी मौत हो गई। विमला भी इस भगदड़ में घायल हो गई। हादसे के बाद अस्पताल में मातम छा गया और विमला की चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया।

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    Haridwar Stampede: घायल विमला का ढांढस बांधती हुई उसकी भाभी अनिता कुमारी। जागरण

    शैलेंद्र गोदियाल, जागरण हरिद्वार । उत्तर प्रदेश सहोडा, बरेली की विमला ने बेटे आरुष (लला) का हाथ मजबूती से थामा था। हरियाली तीज पर मन अस्था से भरा था और आंखों में मनसा देवी के दर्शन की लालसा। परंतु मंदिर के करीब पहुंचते ही भीड़ के रौद्र रूप ने सब कुछ छीन लिया। मनसा देवी सीढ़ी मार्ग पर मची भगदड़ में विमला के सामने उसकी गोद उजड़ गई।

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    रविवार को हरिद्वार जिला अस्पताल की इमरजेंसी में दर्द का मंजर था। इमजेंसी में घायल विमला की बात सुनने के लिए दिल चाहिए। अपनी भाभी अनिता से सिसकते हुए विमला ने बताया कि हम मंदिर तक पहुंचे ही नहीं थे, हमने धक्का भी नहीं दिया। जब भगदड़ मची, तो मैंने अपनी लाडो और लला का हाथ पकड़ लिया। लेकिन भीड़ में लला का हाथ छूट गया। भीड़ चिल्ला रही थी, मंदिर का गेट बंद हो गया, लौटो-लौटो।

    मैं भीड़ में फंसी रही, जब भीड़ कुचलते हुए आगे बढ़ गई तब मेरी नजर बेटे तक पहुंची, वह सीढ़ियों के पास बेहोश पड़ा था। वह हिल भी नहीं रहा था। विमला ने बताया लला के पिता प्रवेश कुमार बरेली में परचून की दुकान चलाते हैं, अब लौट कर उन्हें क्या बताऊंगी।

    विमला ने बताया कि वे दो दिन पहले हरिद्वार आए थे पहले ऋषिकेश गए। फिर रविवार की सुबह चार बजे गंगा स्नान करके मनसा देवी जा रहे थे। किसी तरह नौ बजे मंदिर के करीब पहुंचे, वहां भीड़ अनियंत्रित हुई।

    विमला के लला खत्म हो गए…, जिला अस्पताल में गूंजती रही सिसकी

    हरिद्वार : अपनी ननद विमला की घायल बेटी के एक बेड पर बैठी अनिता कुमारी फोन पर सिसकते हुए घरवालों को बस इतना कह सकीं ‘विमला के लला खत्म हो गए, मंदिर के पास बहुत भगदड़ मची थी, विमला भी बहुत घायल है।’

    उनके पास बैठे पति मोहनलाल ने भर्राई आवाज में बताया कि हम घटना स्थल से करीब 20 मीटर पीछे थे। मेरी बहन विमला, उसका बेटा आरुष, बेटी और भाई-बहन आगे थे। धक्का कैसे लगा, किसी को पता नहीं, लेकिन जो नीचे गिरा, वह उठ नहीं पाया।