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    Haridwar Stampede: कांवड़ मेले की वाहवाही में चूक गया प्रशासन, तड़के तीन बजे से ही पहुंचने लगे थे श्रद्धालु

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 09:46 AM (IST)

    Haridwar Stampede कांवड़ मेले के समापन के बाद हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी लेकिन प्रशासन भीड़ प्रबंधन में विफल रहा। रविवार सुबह मंदिर में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई क्योंकि श्रद्धालुओं की संख्या क्षमता से अधिक हो गई थी। पुलिस बल की कमी और उचित व्यवस्था के अभाव के कारण स्थिति अनियंत्रित हो गई।

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    Haridwar Stampede : कांवड़ मेले की वाहवाही में भीड़ प्रबंधन से चूक गया प्रशासन।

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार। 4.5 करोड़ शिवभक्तों की आमद और सकुशल रवानगी संपन्न कराने की वाहवाही में प्रशासन मेले के बाद भीड़ प्रबंधन में चूक गया। मेले के बाद लगातार भीड़ उमड़ने की जानकारी होने के बावजूद प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या के हिसाब से व्यापाक इंतजाम नहीं किए गए।

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    कांवड़ मेला निपटने पर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी हटा दी गई। रविवार तड़के तीन बजे से श्रद्धालुओं के मंदिर पहुंचने के बावजूद प्रबंधन सचेत नहीं हुआ। अलग-अलग स्तर पर हुई ये खामियां भी कहीं-न-कहीं भगदड़ के लिए जिम्मेदार हैं।

    गंभीरता को भांप नहीं सके अधिकारी

    कांवड़ मेला संपन्न कराने के लिए शासन-प्रशासन की बैठकों का दौर महीनों पहले शुरू हो गया था। शिवभक्तों की सुरक्ष और सकुशल आवागमन को लेकर बाकायदा रूट और पार्किंग प्लान तैयार किया गया। मैराथन बैठकों में बनाई गई रणनीति को धरातल पर उतारकर अधिकारियों ने कांवड़ मेले को सकुशल संपन्न कराया।

    इस सफलता को आमजन से लेकर सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं तक ने हाथों हाथ लिया और आला अधिकारियों को अलग-अलग मंचों पर सम्मानित भी किया गया। लेकिन, प्रशासन की भूमिका सिर्फ कांवड़ मेले तक सीमित नहीं थी। मेले के बाद भी लगातार शिवभक्तों की भीड़ धर्मनगरी में बनी हुई है। इस पहलू की गंभीरता को अधिकारी भांप नहीं सके।

    यही कारण है कि रविवार तड़के से ही मनसा देवी मंदिर में भीड़ बढ़ती चली गई। सीजन के आम दिनों में रोजाना 15 से 20 हजार श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर पहुंचते हैं, लेकिन रविवार सुबह कुछ घंटों में ही भीड़ का आंकड़ा 20 हजार को पार कर गया।

    सुबह लगभग 9:30 बजे तक सीढ़ी मार्ग श्रद्धालुओं से पूरी तरह पैक हो गया। ऊपर जगह न होने के बावजूद नीचे से श्रद्धालुओं के मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने का सिलसिला चलता रहा। यदि मंदिर प्रबंधन भीड़ का दबाव बढ़ने पर समय रहते चेत गया होता और पुलिस-प्रशासन की टीम नीचे श्रद्धालुओं की भीड़ को डायवर्ट या रोक देती तो शायद भगदड़ न होती।

    जबकि नवरात्र और चारधाम यात्रा सीजन में मंदिर प्रबंधन व पुलिस प्रशासन इसी रणनीति पर काम करता है। लेकिन, मेला निपटने के बाद इससे हाथ खड़े कर लिए गए। ...तो कांवड़ मेला सकुशल संपन्न होने का श्रेय लेने वाले अधिकारी क्या इस लापरवाही की जिम्मेदारी भी लेंगे।

    वाहनों से भरी हैं पार्किंग

    श्रावण शिवरात्रि के बाद दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कांवड़ यात्री हरिद्वार पहुंचने बंद हो गए, लेकिन बिजनौर, मुरादाबाद, बरेली आदि जिलों से शिवभक्तों की आमद बढ़ गई है। कांवड़ यात्रियों के वाहनों से पार्किंग भरी हुई हैं। हरिद्वार-नजीबाबाद हाईवे पर पैदल कांवड़ यात्रियों के साथ ही झांकी वाली कांवड़ चल रही हैं। डीजे के साथ बड़ी कांवड़ भी लगातार हरिद्वार पहुंच रही हैं। लेकिन, पुलिस-प्रशासन की ओर से मेले की तरह कोई इंतजाम फिलहाल नहीं है।

    वापस भेज दिया पुलिस बल

    प्रदेश के 12 जिलों में पंचायत चुनाव के चलते कांवड़ मेला संपन्न कराने आए पुलिस बल को शिवरात्रि से एक दिन पहले ही हरिद्वार से रवाना कर दिया गया था। अब केवल थाना कोतवाली स्तर पर अपने-अपने क्षेत्र में यातायात व सुरक्षा व्यवस्था संभाली जा रही है।