मंदिर पर कब्जे को लेकर पूर्व पार्षद और संत हुए आमने-सामने, इसके बाद जो हुआ... पूरे इलाके में हो रही है चर्चा
हरिद्वार के भीमगोड़ा में रामलीला भवन के पास मंदिर निर्माण को लेकर संत और पूर्व पार्षद के बीच मारपीट हो गई। पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायतों पर मुकदमे दर्ज किए हैं। विवाद सरकारी जमीन पर कब्जे और मंदिर बनाने को लेकर शुरू हुआ। घटना के बाद क्षेत्र में तनाव व्याप्त है।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। भीमगोड़ा क्षेत्र में रामलीला भवन के पास सरकारी भूमि पर कब्जा हटाकर मंदिर बनाने की पैरवी कर रहे एक संत को दूसरे पक्ष ने घेर लिया। पूर्व पार्षद और संत आमने-सामने आने पर मारपीट हो गई। सरेराह लात-घूंसे चलने पर हंगामा खड़ा हो गया।
खड़खड़ी चौकी के पुलिसकर्मियों ने मशक्कत करते हुए हंगामा शांत कराया। पुलिस चौकी पहुंचने पर भी दोनों पक्ष आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे।शहर कोतवाल रितेश शाह ने बताया कि इस मामले में एक पक्ष की ओर से ओमानन्द निवासी वेदान्त आश्रम खड़खड़ी की शिकायत पर पूर्व पार्षद लखन लाल चौहान, मुकेश अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल, अमित अग्रवाल आदि 30 से 40 आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
जबकि दूसरे पक्ष की ओर से मुकेश अग्रवाल की तहरीर पर ओमानन्द स्वामी सुरेशानन्द,देवेश शर्मा ममगांई, बलराम गिरी, आदित्य गौड, मोहन उपाध्याय निवासीगण भीमगोड़ा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। दोनों मुकदमों की जांच खड़खड़ी चौकी प्रभारी सतेंद्र भंडारी को सौंपी गई है।
पुलिस के मुताबिक, भीमगोड़ा में रामलीला भवन के पास बरगद के पेड़ के नीचे एक व्यक्ति ने प्रसाद व प्लास्टिक केन जमा की हुई हैं। सोमवार सुबह खड़खड़ी स्थित एक आश्रम के संत अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे और सामान को हटाना शुरू कर दिया। संत का कहना था कि यहां मंदिर मनाया जाएगा। कारोबारी ने इसका विरोध किया तो विवाद बढ़ गया। आरोप है कि इसी बीच संत ने क्षेत्र के पूर्व पार्षद को लेकर आपत्तिजनक बातें कहीं।
भनक लगते ही पूर्व पार्षद मौके पर पहुंचे और संत का विरोध किया। बात इतनी बढ़ गई कि दोनों पक्षों में हाथापाई हो गई। झगड़े की सूचना मिलते ही खड़खड़ी चौकी प्रभारी सतेंद्र भंडारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने दोनों पक्षों को समझाकर चौकी लाया। संत पक्ष का कहना है कि वह सफाई करने के इरादे से पहुंचे थे।
जबकि कारोबारी का आरोप है कि संत कब्जे की नीयत से अपने समर्थकों संग पहुंचे और उनका सामान फेंकना शुरू कर दिया। विवाद के दौरान युवा संत के समर्थन में भाजपा के नेता के साथ ही कांग्रेस के नेता भी सामने आए। मजेदार बात यह है कि सरेआम मारपीट होने के बावजूद किसी भी पक्ष ने कोई तहरीर नहीं दी।
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