Lakhpati Didi Yojana: हरिद्वार की 'लखपति दीदियां', गांव की महिलाएं बन गईं कारोबारी; लाखों में कमाई
Haridwar News | Lakhpati Didi Yojana | रुड़की ब्लॉक की महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की लखपति दीदी योजना से स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। वे जूट उत्पाद मिट्टी के बर्तन नमकीन और डेयरी जैसे व्यवसायों से जुड़कर न केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं बल्कि सालाना लाखों रुपये कमा रही हैं। लखपति दीदी योजना ने महिलाओं को सशक्त बनाया है।

जागरण संवाददाता, रुड़की। ब्लाक रुड़की क्षेत्र की महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की लखपति दीदी योजना के तहत स्वरोजगार की मिसाल बन रही हैं।
विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर महिलाएं जूट उत्पाद, मिट्टी के बर्तन, नमकीन, मिठाई, बेकरी व डेयरी जैसे कारोबार कर न केवल परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं, बल्कि लाखों की सालाना आमदनी अर्जित कर रही हैं।
ग्रामीण आजीविका को मजबूत बनाने के उद्देश्य से एनआरएलएम द्वारा संचालित लखपति दीदी योजना ने दर्जनों गांवों की महिलाओं की जिंदगी बदल दी है। जिला विकास अधिकारी वेदप्रकाश ने बताया कि ग्राम अकबरपुर फाजिलपुर में तुलसी स्वयं सहायता समूह ने अपने ग्राम संगठन चेतना आजीविका महिला संगठन से एक लाख रुपये का ऋण लेकर जूट उत्पादों का कारोबार शुरू किया।
समूह की महिलाएं फाइल, फोल्डर, बैग, पर्स और बोतल बैग बना रही हैं, जिन्हें स्थानीय बाजार, दुकानों और मेलों में बेचा जाता है।
ग्राम मेहवड़ खुर्द उर्फ नांगल की रोशनी स्वयं सहायता समूह ने पूजा आजीविका महिला संगठन से 60 हजार रुपये का ऋण लेकर मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य शुरू किया। समूह की महिलाएं घड़ा, सुराही, गुल्लक, दीये और करवे बनाकर स्थानीय स्तर पर बिक्री कर रही हैं।
ग्राम केल्हनपुर व बेलडी साल्हापुर की शबूर स्वयं सहायता समूह ने एक लाख रुपये के सहयोग से नमकीन काजू, मटर, मट्टी और नमक पारा जैसे उत्पाद तैयार करना शुरू किया। इनकी बिक्री मंगलौर और रुड़की की दुकानों व विभिन्न अवसरों पर लगने वाले स्टॉलों पर हो रही है।
समूह की मासिक बिक्री एक से डेढ़ लाख रुपये तक पहुंच रही है। शिरोमणी स्वयं सहायता समूह की महिला रचना ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना से 40 हजार रुपये और समूह से 10 हजार रुपये का ऋण लेकर मिठाई बनाने का काम शुरू किया।
यह समूह बर्फी, लड्डू और पेड़ा तैयार कर भगवानपुर, रुड़की और बहादराबाद के बाजारों में बेच रहा है। इसकी मासिक बिक्री 1.25 से 1.50 लाख रुपये तक है।
विकासखंड रूड़की परिसर में भगवती स्वयं सहायता समूह ने 10 लाख रुपये के सहयोग से बेकरी यूनिट स्थापित की है। यहां ज्वार, बाजरा, सिंघाड़ा और मल्टीग्रेन बिस्कुट, ब्रेड, पाव और कुलचे तैयार किए जा रहे हैं। ये उत्पाद न केवल स्थानीय बाजार में, बल्कि सरकारी दफ्तरों और मेलों में भी बेचे जा रहे हैं।
ग्राम करौंदी में आस्था डेयरी की स्थापना की गई है। रीप परियोजना और एनआरएलएम के सहयोग से 5 लाख रुपये की लागत से शुरू हुई यह डेयरी दूध, दही, घी, मक्खन, पनीर, मावा और क्रीम का उत्पादन कर रही है। इससे छह गांवों की 120 से 150 महिलाओं की आमदनी में सीधी बढ़ोतरी हो रही है।
लखपति दीदी योजना ने साबित किया है कि यदि महिलाओं को अवसर और सहयोग मिले तो वे अपनी मेहनत से आत्मनिर्भरता की राह खुद बना सकती हैं। आज रुड़की की ग्रामीण महिलाएं स्वरोजगार की ऐसी मिसाल पेश कर रही हैं, जो पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा है।
-आकांक्षा कोंडे, मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार
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