उत्तराखंड के इस जिले में संक्रामक रोग फैलने का खतरा, गंदा पानी पीने से बच्चों को हो रही उल्टी-दस्त
हरिद्वार के महावतपुर गांव में विश्व बैंक परियोजना के तहत बना ओवरहेड टैंक रिस रहा है जिससे ग्रामीणों को गंदा पानी पीना पड़ रहा है। बच्चे और बुजुर्ग बीमारियों से परेशान हैं। ग्रामीणों ने घटिया निर्माण का आरोप लगाया है। अधिकारियों का कहना है कि पानी की जांच कराई जाएगी और समस्या का समाधान किया जायेगा।

संवाद सहयोगी जागरण, रुड़की। विश्व बैंक परियोजना के तहत करोड़ों की लागत से बना ओवरहेड टैंक रिसने लगा है। नतीजा यह है कि महावतपुर गांव के लोग बीते एक हफ्ते से गंदा बदबूदार पानी पीने को मजबूर हैं। हालात ऐसे हैं कि छोटे बच्चे और बुजुर्ग बीमारियों के खतरे से घिर गए हैं।
ग्राम पंचायत भंगेडी महावतपुर में 2022 में विश्व बैंक परियोजना से करीब 10 करोड़ से ज्यादा की लागत से ओवरहेड टैंक का निर्माण कराया गया था। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब उन्हें साफ और बेहतर पानी मिलेगा, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है।
ओवरहेड टैंक में लिकेज होने से पिछले एक सप्ताह से लोगों तक गंदा और दुर्गंधयुक्त पानी पहुंच रहा है। मजबूर होकर ग्रामीण अन्य स्त्रोतों से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। गांव की महिलाओं का कहना है कि बदबूदार पानी से घर का खाना तक बनाना मुश्किल हो गया है।
छोटे-छोटे बच्चे पेट दर्द और उल्टी-दस्त की शिकायत करने लगे हैं। बुजुर्गों को भी दूषित पानी से गंभीर खतरा है। ग्रामीणों ने आशंका जताई कि अगर जल्दी ही समस्या का समाधान नहीं हुआ तो गांव में संक्रामक बीमारियां फैल सकती हैं।
वही ग्राम प्रधान नरेंद्र कुमार ने बताया कि बीते 20 वर्षों से गांव के बाहर बनी पुरानी पानी की टंकी से पूरे गांव और खंजरपुर तक आपूर्ति होती थी। लेकिन परियोजना के इंजीनियरों ने पुरानी टंकी की जगह नया ओवरहेड टैंक खड़ा कर दिया, जबकि पंप वही पुराना इस्तेमाल किया जा रहा है।
इतना ही नहीं, पंचायत भवन के पास करोड़ों की लागत से एक और ओवरहेड टैंक बनवाया गया था, जो लंबे समय से रिसाव की समस्या से जूझ रहा है। लेकिन विभागीय सांठगांठ और ठेकेदार की मिलीभगत से घटिया निर्माण कराकर करोड़ों की योजना को बर्बाद किया गया है।
शिकायत के बावजूद हर बार विभाग इसे ओवरफ्लो का बहाना बनाकर दबा देता है। पिछले सप्ताह ही शिकायत के बाद विभाग के कर्मचारी ने कैमिकल लगाकर रिसाव को रोक दिया। लेकिन अब दूसरी जगह से रिसाव होने लगा है।
वहीं, विश्व बैंक परियोजना के सहायक अभियंता नितीश कुमार का कहना है कि ग्रामीणों को बिल्कुल स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। टैंक की पांच साल की गारंटी है। फिर भी शिकायत मिलने पर पानी की सप्लाई की जांच कराई जाएगी।
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