Haridwar: मनसा देवी की पहाड़ी पर भारी भूस्खलन, सड़क पर दरारें पड़ने से बढ़ा खतरा
हरिद्वार में लगातार बारिश के कारण मनसा देवी पहाड़ी पर बड़ा भूस्खलन हुआ है जिससे हिल बाइपास का हिस्सा ध्वस्त हो गया है। पहाड़ी और सड़क पर दरारें आने से बस्तियों रेलवे लाइन और हरकी पैड़ी को खतरा है। भूवैज्ञानिकों ने निरीक्षण कर ट्रीटमेंट का सुझाव दिया है। राजाजी टाइगर रिजर्व ने लोगों को अलर्ट किया है क्योंकि पहाड़ तेजी से खिसक रहा है।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। लगातार हो रही वर्षा ने हरिद्वार की शिवालिक पर्वत माला को भी हिला दिया है। मनसा देवी की पहाड़ी पर करीब 300 मीटर क्षेत्र में भारी भूस्खलन हुआ है। जिससे पहाड़ी और हिल बाइपास की सड़क पर दरारें पड़ गई हैं।
इस भूस्खलन से तलहटी पर बसी दो बस्तियों के सैकड़ों परिवारों और हरिद्वार देहरादून-ऋषिकेश रेलवे लाइन सहित हरकी पैड़ी पर भी खतरा मंडराने लगा है। खतरे की जद वाले भीमगोड़ा क्षेत्र में तो राजाजी टाइगर रिजर्व की टीम ने लोगों को अलर्ट करते हुए सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है।
भूस्खलन के बढ़ते खतरे को देखकर जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देशन में उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के भूविज्ञानियों ने स्थलीय निरीक्षण के साथ ही ड्रोन से भी सर्वे किया। साथ ही इसके लिए वृहद ट्रीटमेंट करने का सुझाव दिया।
हरिद्वार में एक सप्ताह के अंतराल में 500 एमएम से अधिक वर्षा हुई है। मंगलवार रात और गुरुवार सुबह हरिद्वार के आसपास के क्षेत्रों आकाशीय बिजली की भयानक गरज सुनाई दी। जिससे शहरवासी भी सहम उठे। मंगलवार रात को हरिद्वार में 170 एमएम वर्षा दर्ज की गई। जिससे मनसा देवी की पहाड़ी पर भारी भूस्खलन हुआ।
बुधवार रात और बृहस्पतिवार सुबह तक 62 एमएम वर्षा दर्ज की गई। जिससे भूस्खलन का दायरा और अधिक बढ़ा। इस भूस्खलन से हिल बाइपास का करीब तीन सौ मीटर हिस्सा तो पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। इस भूस्खलन से आसपास की पहाड़ी व हिल बाइपास की सड़क पर गहरी और लंबी दरारें पड़ चुकी हैं।
इस क्षेत्र में तलहटी की ओर बांस के जंगल ने भूस्खलन व पत्थरों को कुछ हद तक थाम रखा है। बृहस्पतिवार को निरीक्षण करने के लिए पहुंची टीम ने पाया कि मनसा देवी की पहाड़ियों में छह किमी के दायरे में 11 भूस्खलन जोन पुराने और चार नए भूस्खलन जोन बन गए हैं। लगातार इस भूस्खलन जोन की संख्या बढ़ती जा रही है।
सेंड और मडस्टोन का है पहाड़
गुरुवार को उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के भूविज्ञानियों की टीम की ओर से स्थलीय निरीक्षण किया गया। इस निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ भूविज्ञानी डा. रुचिका टंडन ने बताया कि मनसा देवी की पहाड़ी और भीमगोड़ा क्षेत्र में भूस्खलन एक विशेष भूगर्भीय समस्या है। ये सेंड स्टोन व मडस्टोन का पहाड़ है। जो बहुत कमजोर होते हैं।
इसका परीक्षण कराया जाएगा, इसके लिए पत्थर मिट्टी के नमूने जांच के लिए लिए गए हैं। परीक्षण उपरांत ही भूस्खलन क्षेत्र के उचित प्रबंधन के लिए व्यवस्था कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि इसकी जांच रिपोर्ट जल्द ही प्रशासन को उपलब्ध कराई जाएगी। इसके बाद ट्रीटमेंट प्लान तैयार किया जाएगा। इसके लिए वन विभाग, रेलवे, सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग व आपदा प्रबंधन के अधिकारियों के साथ संयुक्त बैठक होगी।
निरीक्षण के दौरान भूवैज्ञानिक डा. रघुबीर, उप निदेशक अजय लिंगवाल, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा रावत, अधिशासी अभियंता लोनिवि दीपक कुमार, सहायक अभियंता लोनिवि गणेश जोशी, सुनील कुमार, रेंज अधिकारी बीडी तिवाड़ी मौजूद रहे।
तेजी से खिसक रहा है पहाड़
राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज के रेंजर बीडी तिवाड़ी ने कहा कि भूविज्ञानियों की टीम के साथ उन्होंने भी पहाड़ी का निरीक्षण किया है और यह पाया कि पहाड़ के ऊपर से मिट्टी का ज्यादातर हिस्सा नीचे की तरफ खिसक रहा है और तेज वर्षा में पहाड़ी के खिसकने की गति बढ़ सकती है। अभी अधिकांश मलबा और पत्थर तलहटी की ओर से बांस के जंगल के कारण थमा है।
भीमगोड़ा क्षेत्र में तो रेलवे लाइन के ठीक ऊपर की पहाड़ी पर भारी पत्थर और बोल्डर रुके पड़े हैं। भीमगोड़ा और आसपास के आबादी क्षेत्र में वन विभाग की टीम ने अलर्ट भी किया है और सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा है। उन्होंने बताया कि यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि यह भूस्खलन तीन दिन पहले गिरी आकाशीय बिजली गिरने से और अधिक बढ़ा हो होगा।
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