Haridwar Kumbh 2021: सोमवती अमावस्या पर शाही जुलूस का बदला गया रास्ता, कुछ इस तरह की हैं तैयारियां
Haridwar Kumbh Mela 2021 कुंभ में अखाड़ों की पेशवाई और धर्मध्वजा की स्थापना का दौर खत्म होने के साथ शनिवार से शाही स्नान की तैयारियां भी तेज हो गई हैं। 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या पर होने वाले पहले बड़े शाही स्नान लिए ब्रह्मकुंड को आरक्षित कर दिया गया है।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 हरिद्वार कुंभ में अखाड़ों की पेशवाई और धर्मध्वजा की स्थापना का दौर खत्म होने के साथ शनिवार से शाही स्नान की तैयारियां भी तेज हो गई हैं। 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या पर होने वाले पहले बड़े शाही स्नान लिए हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड को अखाड़ों और संत-महात्माओं के लिए आरक्षित कर दिया गया है। यही व्यवस्था 14 अप्रैल को मेष संक्रांति (बैसाखी) पर होने वाले शाही स्नान के लिए भी रहेगी।
इन दिनों में आम श्रद्धालुओं को हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर स्नान की अनुमति नहीं होगी। उन्हें अन्य गंगा घाटों पर स्नान करना होगा। कुंभ का यह पहला ऐसा स्नान होगा, जिसमें सभी 13 अखाड़े शामिल होंगे। इससे पहले 11 मार्च को हुए महाशिवरात्रि स्नान पर केवल सात संन्यासी अखाड़ों ने ही स्नान किया था। मेला पुलिस ने इसकी पुख्ता व्यवस्था कर ली है। इसके साथ ही शाही स्नान के लिए अखाड़ों और महामंडलेश्वरों के शाही जुलूस के मार्ग को भी बदला गया है। अब शाही जुलूस अपर रोड के बजाय हाइवे से मेला भवन (सीसीआर) होते हुए हरकी पैड़ी पहुंचेगा।
मेला आइजी संजय गुंज्याल ने कहा कि सोमवती अमावस्या पर शाही स्नान के लिए पहला जुलूस श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी का निकलेगा। आनंद अखाड़ा भी उसके साथ रहेगा। निरंजनी के बाद श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा स्नान करेगा। जूना के साथ अग्नि व आह्वान अखाड़े के अलावा किन्नर अखाड़ा भी पहुंचेगा। अगले क्रम में महानिर्वाणी अखाड़ा स्नान करेगा। उसके साथ अटल अखाड़ा भी होगा।
फिर तीनों बैरागी अणियां हरकी पैड़ी पहुंचेंगी। उनके 18 अखाड़े और करीब 1200 खालसे जुलूस में शामिल होंगे। बैरागियों के बाद दोनों उदासीन अखाड़े बड़ा व नया का जुलूस होगा और आखिर में निर्मल अखाड़ा स्नान के लिए पहुंचेगा। कहा कि महाशिवरात्रि स्नान के समय अखाड़ों और उनके साधु-संतों की संख्या कम थी, लेकिन इस बार संख्या बढ़ गई है। इस लिहाज से स्नान के देर रात तक चलने की संभावना है। इसी को देखते मेला पुलिस समय का निर्धारण करने में जुटी हुई है।
मेला आइजी ने कहा कि सभी 13 अखाड़ों के इस और इसके बाद के स्नान में शामिल होने कारण महाशिवरात्रि स्नान की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। इसके तहत सभी 13 अखाड़ों के शाही जुलूस को अपर रोड से हरकी पैड़ी नहीं भेजा जाएगा। अब इन्हें हाइवे से मेला भवन होते हुए हरकी ले जाया जाएगा। अखाड़ों की वासपी भी ऐसे ही होगी। कहा कि आकस्मिक स्थिति में ही अपर रोड का इस्तेमाल किया जाएगा।
तय समय में ही करना होगा स्नान
मेला अधिष्ठान ने तय किया है कि वह 12, 14 और 27 अप्रैल के शाही स्नान तय समय के भीतर करने पर जोर देगा। दरअसल एक अखाड़े के स्नान के बाद दूसरे अखाड़े के स्नान के लिए हरकी पैड़ी पर पहुंचने से पहले घाट की साफ-सफाई व अन्य व्यवस्थाएं पूरी करने होती हैं। ऐसे में अगर कोई अखाड़ा तय समय से अधिक लेता है तो अखाड़ों में टकराव की आशंका रहती है। मेला पुलिस ने समय का पालन कराने के लिए कमर कस ली है। आइजी गुंज्याल के अनुसार पूरी कोशिश रहेगी कि सभी अखाड़े तय समय पर ही स्नान करें।
श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में धर्मध्वजा स्थापित
श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मल की छावनी में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरुषों की उपस्थिति में धर्म ध्वजारोहण किया गया। ध्वजारोहण के पश्चात स्वामी ज्ञानेश्वर दास महाराज का महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किया गया। धर्मध्वजा स्थापित कर रहे संतों पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह वेदांताचार्य महाराज ने कहा कि कुंभ मेला संत महापुरुषों के ज्ञान, तप एवं वैराग्य की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
कहा कि नवनियुक्त महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानेश्वर दास महाराज एक तपस्वी संत है। जो महामंडलेश्वर पद पर रहते हुए निर्मल अखाड़े की परंपराओं का निर्वहन कर अखाड़े को उन्नति की ओर अग्रसर करेंगे। जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि महापुरुषों का जीवन सदैव परोपकार के लिए समर्पित होता है और निर्मल अखाड़े के संतों ने प्रारंभ से ही सेवा भाव का संदेश देकर समाज का मार्गदर्शन किया है।
इस दौरान उन्नाव सांसद व महामंडलेश्वर सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज, कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज और महंत रंजय सिंह महाराज ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में संतों की अहम भूमिका है और कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का केंद्र बिंदु है। इस अवसर पर महंत अमनदीप सिंह, महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज, महंत मोहन सिंह, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, बाबा हठयोगी, महंत दुर्गादास, महंत प्यारा सिंह, महंत कमलजीत सिंह, महंत दर्शन सिंह, महंत प्रेमदास, महंत निर्मलदास सहित बड़ी संख्या में संत मौजूद रहे।
यह भी पढ़ें- अगर कुंभ नहीं आ रहे हैं तो हरिद्वार मार्ग से यात्रा करने से बचें, इन तिथियों पर होना है शाही स्नान
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें