Move to Jagran APP

संत की कलम से: महामंडलेश्वर हरि चेतनानंद बोले- लोक आस्था का महापर्व है कुंभ

महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद (परमाध्यक्ष हरि सेवा धाम) ने कहा कुंभ सनातन संस्कृति और लोक आस्था का महापर्व है। कुंभ विवेक सनातन धार्मिक संस्कृति का एक वृहद रूप भी है। कुंभ अपने अलौकिक छटा और विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है।

By Sunil Singh NegiEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 04:21 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 04:21 PM (IST)
संत की कलम से: महामंडलेश्वर हरि चेतनानंद बोले- लोक आस्था का महापर्व है कुंभ
महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद, परमाध्यक्ष हरि सेवा धाम। फाइल फोटो

कुंभ सनातन संस्कृति और लोक आस्था का महापर्व है। कुंभ विवेक सनातन धार्मिक संस्कृति का एक वृहद रूप भी है। कुंभ अपने अलौकिक छटा और विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है। कुंभ की अलौकिक विशेषताओं का वर्णन तो देवताओं की वाणी ने भी किया है, वैसे भी यह देवीय आयोजन है। देव लोक की कृपा से इसका सौभाग्य धरती लोग को भी प्राप्त है। इसलिए यह धार्मिक आस्था और विश्वास की पराकाष्ठा भी है।

loksabha election banner

सनातन धर्म और संस्कृति का शिखर पर्व कौन धरती लोक पर ऐसा अद्भुत आयोजन है, जिसका इंतजार देवलोकवासी और देवी-देवताओं भी करते हैं। इसमें समस्त देवी देवताओं का वास होता है, यह अटल और अविनाशी है। क्षीर सागर में शेषनाग की रस्सी से किए गए समुद्र मंथन से निकले अमृत को हुए देवताओं और असुरों में हुए संग्राम के दौरान धरती लोक पर जहां-जहां भी अमृत की बूंदें गिरी वहां-वहां पर देवताओं के आदेश से कुंभ का आयोजन आरंभ हुआ। इस कारण ही कुंभ धरती लोक के साथ साथ देव लोक में भी आस्था का महापर्व है।

विशेष ज्योतिष गणना और नक्षत्रीय संयोग में होने वाले कुंभ पर सभी देवी देवताओं की उपस्थिति रहती है। इस विशेष में नक्षत्रीय संयोग में गंगाजल अमृत स्वरूप में प्रवाहित होता है। गंगातीर्थ हरिद्वार कुंभ का अपना अलग स्थान और महत्व है। इस बार हरिद्वार कुंभ के लिए विशेष योग 12 वर्षों की बजाय 11 वर्ष में पड़ रहा है, यही वजह है कि अबकी इसे 11 वर्ष में ही आयोजित हो रहा है। नक्षत्रों का यह विशेष संयोग मोक्षदायिनी पतित पावनी गंगा के पावन व औषधिय गुण युक्त जल को अमृतमयी बना देता है। अलौकिक पावन स्थितियों में गंगा के पवित्र जल के  पूजन और स्नान मात्र से ही व्यक्ति मृत्यु लौकी की तरह स्वर्ग लोक की प्राप्ति का भी हकदार बन जाता है। पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं, उन से मुक्ति मिल जाती है। आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार हो जाता है | 

-महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद, परमाध्यक्ष हरि सेवा धाम

यह भी पढ़ें : संत की कलम से: कुंभ है सनातन संस्कृति का शिखर पर्व- स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.