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Haridwar Kumbh Mela 2021: मेष संक्रांति स्नान पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्‍था की डुबकी

मेष संक्रांति स्नान पर आज बुधवार को हर की पैड़ी पर श्रद्धालु आस्‍था की डुबकी लगाने के लिए उमड़े। बता दें आज महाकुंभ का दूसरा शाही स्‍नान है जिस कारण सात बजे के बाद हर की पैड़ी पर आम श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 05:27 AM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 05:27 AM (IST)
Haridwar Kumbh Mela 2021: मेष संक्रांति स्नान पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्‍था की डुबकी
मेष संक्रांति स्नान पर आज बुधवार को हर की पैड़ी पर श्रद्धालु आस्‍था की डुबकी लगाने के लिए उमड़े।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 मेष संक्रांति और वैशाखी के दूसरे शाही स्नान पर रात 12 बजे से से ही श्रद्धालु स्नान पर पुण्य लाभ कमाने को हर की पैड़ी समेत आसपास के गंगा घाटों पर पहुंचने लगे। 13 अखाड़ों के स्नान शाही स्नान के चलते श्रद्धालु रोक-टोक से पहले ही हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पर स्नान कर लेना चाह रहे थे। मेला पुलिस प्रशासन कड़ी सुरक्षा में एक-दो डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं को हरकी पैड़ी से अन्य घाटों की ओर भेज रहा था। दिन चढ़ने के साथ ही हरकी पैड़ी को पूरी तरह अखाड़ों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। 

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कोरोना काल में कुंभ होने के कारण केंद्र सरकार की ओर से भले ही एसओपी जारी की गई, प्रशासन ने कड़े बंदोबस्त किए हैं। श्रद्धालुओं को हरिद्वार में प्रवेश भी कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट ओर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद दिया गया। बावजूद इसके आस्था के सामना कोरोना की लाख बन्दिशें बौनी नजर आई। वैसे तो हरकी पैड़ी सभी गंगा घाटों पर रात 12 बजे शाही स्नान का क्रम शुरू हो गया था। ब्रह्म मूहुर्त के बाद और तेजी आ गई। हर की पैड़ी सहित अन्य घाटों पर स्नान का क्रम ओर तेज हो गया।

सुबह 7 बजे अखाड़ों के शाही स्नान के तय समय को देखते हुए हर की पैड़ी को आरक्षित करने का सिलसिला शुरू किया गया। हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को एक-दो डुबकी लगाने के बाद दूसरे गंगा घाटों पर भेजना शुरू किया गया। लेकिन, श्रद्धालुओं श्रद्धा और आस्था के संगम को देखकर मानों ऐसा लग रहा था कि कोरोना की बन्दिशें खत्म हो गई हो। कड़ी सुरक्षा के चलते दिन चढ़ने के साथ ही यात्रियों को हर की पैड़ी जाने से रोकना शुरू कर दिया गया। ऐसे में यात्रियों ने दूसरे गंगा घाटों पर ही पुण्य की डुबकी लगाई। साथ ही दान आदि कर पितरों को याद भी किया।

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