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संत की कलम से: ब्रह्मकुंड पर लाखों संत-महात्मा और श्रद्धालु लगाएंगे आस्था की डुबकी- स्वामी सतपाल ब्रह्मचारी

Haridwar Kumbh 2021 27 फरवरी माघ पूर्णिमा स्नान से महापर्व कुंभ का शुभारंभ हो जाएगा। हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर लाखों संत महात्मा और श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। कुंभ में निकलने वाली अखाड़ा की पेशवाई लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होती है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 10:35 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 10:35 AM (IST)
संत की कलम से: ब्रह्मकुंड पर लाखों संत-महात्मा और श्रद्धालु लगाएंगे आस्था की डुबकी- स्वामी सतपाल ब्रह्मचारी
ब्रह्मकुंड पर लाखों संत-महात्मा और श्रद्धालु लगाएंगे आस्था की डुबकी।

Haridwar Kumbh 2021 27 फरवरी माघ पूर्णिमा स्नान से महापर्व कुंभ का शुभारंभ हो जाएगा। हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर लाखों संत महात्मा और श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। कुंभ में निकलने वाली अखाड़ा की पेशवाई लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होती है। नागा साधुओं की फौज जब स्नान के लिए निकलती है, तब एक अलौकिक दृश्य सभी को मनमोहित करता है। शाही स्नान की प्राचीन परंपरा कुंभ को और भी दिव्य और भव्य बनाती है।

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कुंभ मेले के दौरान स्नान कर संत महापुरुष विश्व कल्याण की कामना करते हैं और संपूर्ण विश्व को एक सकारात्मक धार्मिक संदेश प्रदान करते हैं। समुद्र मंथन से निकली अमृत की बूंदे हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिरी थी इसलिए  इन चार स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है। अमृत प्राप्ति के लिए देव और दानव में परस्पर 12 दिन निरंतर युद्ध हुआ था। देवताओं के 12 दिन मनुष्यों के 12 वर्ष के तुल्य होते हैं अतएव कुंभ भी 12 होते हैं। 

उनमें से चार पृथ्वी पर होते हैं और शेष आठ कुंभ देवलोक में होते हैं, जिसमें देवगण ही शामिल हो सकते हैं। इसलिए मनुष्य को यदि परमात्मा की प्राप्ति करनी है और अपने जीवन को भवसागर से पार लगाना है तो कुंभ मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर स्वयं को पुण्य का भागी बनाएं।

कुंभ मेले के दौरान मां गंगा में स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है और व्यक्ति को सहस्त्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। प्रत्येक कुंभ मेले की तरह आसन्न कुंभ मेला भी संत महापुरुषों के आशीर्वाद से अपने परंपरागत स्वरूप में निर्विघ्न संपन्न होगा।

[स्वामी सतपाल ब्रह्मचारी] 

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