संत की कलम से: कुंभ के दौरान गंगा स्नान से होता है जन्म-जन्मांतर के पापों का शमन- दिगंबर बलवीर पुरी
Haridwar Kumbh 2021 कुंभ मेले के दौरान मां गंगा में स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है और व्यक्ति को सहस्त्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यह आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा पर्व है। कुंभ मेला करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
Haridwar Kumbh 2021 समुंद्र मंथन से निकली अमृत की बूंदे हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिरी थी। इसलिए इन स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है। अमृत प्राप्ति के लिए देव और दानव में परस्पर 12 दिन निरंतर युद्ध हुआ था। देवताओं के 12 दिन मनुष्यों के 12 वर्ष के तुल्य होते हैं। अतएव कुंभ भी 12 होते हैं। इनमें से चार पृथ्वी पर होते हैं और शेष 8 कुंभ देवलोक में। जिन्हें देवगण ही प्राप्त कर सकते हैं इसलिए मनुष्य को यदि परमात्मा की प्राप्ति करनी है और अपने जीवन को भवसागर से पार लगाना है तो कुंभ मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर स्वयं को पुण्य का भागी बनाएं।
कुंभ मेले के दौरान मां गंगा में स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है और व्यक्ति को सहस्त्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यह आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा पर्व है। कुंभ मेला करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। प्रत्येक कुंभ मेले की तरह आसन्न कुंभ मेला भी संत महापुरुषों के आशीर्वाद से सकुशल संपन्न होगा।
कुंभ मेला ईश्वरीय निमंत्रण है, जिसे स्वीकार कर करोड़ों श्रद्धालु हरिद्वार आगमन करते हैं और अपने जीवन को सफल बनाते हैं। गंगा तीर्थ हरिद्वार कुंभ के लिए विशेष योग 12 वर्षों की बजाए 11 वर्ष में पड़ रहा है। यही वजह है कि इस बार यह ग्यारह वर्ष में ही आयोजित हो रहा है।
[दिगंबर बलवीर पुरी, व्यवस्थापक, बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर]
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