उत्तराखंड के पहाड़ों पर बारिश से हरिद्वार में बाढ़ का खतरा! अधिकारी हाई अलर्ट पर, नदी के पास न जाने की अपील
चमोली के विष्णुप्रयाग बैराज से अलकनंदा नदी में 70 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़े जाने से हरिद्वार में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने लोगों से नदी के किनारों से दूर रहने और सावधानी बरतने की अपील की है। अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और आपदा प्रबंधन टीमों को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं।

जासं, हरिद्वार । विष्णुप्रयाग बैराज, चमोली से वर्तमान में 70 क्यूसेक अतिरिक्त पानी अलकनंदा नदी में छोड़े जाने से निचले हिस्सों में संभावित जलस्तर में वृद्धि की संभावना है। इससे हरिद्वार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में जल भराव की आशंका बनी हुई है।
हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने जनसामान्य को सूचित किया है कि विष्णुप्रयाग बैराज द्वारा अलंकनंदा नदी में रात 1:54 बजे अचानक गाद की वृद्धि होने के कारण जो पानी का बहाव 112 क्यूसेक था उसमें 70 क्यूसेक की अतिरिक्त वृद्धि की गई है इस प्रकार अलंकनंदा नदी में जल प्रवाह वर्तमान में 182 क्यूसेक हो गया है। जिससे नदी के निचले हिस्सों में जल प्रवाह तीव्र हो सकता है और जलस्तर में अचानक वृद्धि की संभावना है।
जिलाधिकारी ने जल वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए जनता से अपील की कि नदीय तटीय इलाकों में जाने से बचे, गंगा जी में स्नान करते समय विशेष सावधानी बरतें तथा निर्धारित स्थानों पर ही स्नान करें। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक स्तर पर तत्परता एवं सुरक्षा बनाए रखते हुए आवागमन में नियंत्रण बरता जाये। किसी भी आपदा/दुर्घटना की स्थिति में त्वरित स्थलीय कार्यवाही करते हुए सूचनाओं का तत्काल आदान-प्रदान किया जाएं।
आपदा प्रबन्धन आइआरएस प्रणाली के नामित समस्त अधिकारी एवं विभागीय नोडल अधिकारी हाई अलर्ट में रहेंगे। समस्त राजस्व उपनिरीक्षक, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी अपने क्षेत्रों में बने रहेंगे। समस्त चौकी/थाने भी आपदा सम्बन्धी उपकरणों एवं वायरलैस सहित हाई अलर्ट में रहेंगे। किसी भी अधिकारी/कर्मचारी के मोबाईल/फोन स्विच ऑफ नहीं रहेंगे।
अधिकारीगण बरसाती, छाता, टार्च, हैलमेट तथा कुछ आवश्यक उपकरण एवं सामग्री अपने वाहनों में अपने स्तर से रखने हेतु उचित कार्यवाही करेंगे। इस अवधि में लोगों के फंसे होने की स्थिति पर खाद्य सामग्री व मेडिकल सुविधा की व्यवस्था की जायें। नगर एवं कस्बाई क्षेत्रों में नालियों एवं कलवटों के अवरोधों को दूर किया जाए।
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