गुरुकुल कांगड़ी सम विश्विद की कुलपति प्रो. हेमलता को पद से हटाया, लगे संगीन आरोप
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. हेमलता कृष्णमूर्ति को कुलाधिपति एसके आर्य ने पद से हटा दिया है। उन पर दायित्वों में लापरवाही आदेशों की अनदेखी और अनुशासनहीनता के आरोप हैं। विवाद कुलाधिपति की नियुक्ति और कुलसचिव को हटाने के मामले से शुरू हुआ। प्रो. हेमलता को देहरादून स्थित समन्वयक कार्यालय में रिपोर्ट करने के निर्देश दिए गए हैं जिसके बाद विश्वविद्यालय में तनाव का माहौल है।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय में उपजे विवाद की गाज अब प्रभारी कुलपति प्रो. हेमलता कृष्णमूर्ति पर गिर गई है। कुलाधिपति एसके आर्य ने प्रभारी कुलपति के विस्तार आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए उन्हें उनके मूल पदस्थापन स्थान पर रिपोर्ट करने के निर्देश जारी कर दिए।
कुलाधिपति ने अपने पत्र में कहा है कि कुलपति (प्रभारी) के दायित्वों के निर्वहन में कथित लापरवाही, कुलाधिपति के आदेश की फारेंसिक जांच, आदेशों की अनदेखी एवं अनुशासनहीनता के गंभीर आरोप सामने आए हैं। अगस्त 2024 में प्रो. हेमलता कृष्णमूर्ति को गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति का दायित्व सौंपा गया था।
कुलाधिपति के रूप में एसके आर्य को नियुक्त करने के बाद पूरा विवाद शुरू हुआ था। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि कुलाधिपति की नियुक्ति यूजीसी रेगुलेशन 2019 के तहत हुई है, जबकि कर्मचारी विश्वविद्यालय में यूजीसी रेगुलेशन 2023 लागू रहने की मांग कर रहे हैं। इसके बाद ही एसके आर्य को कुलाधिपति नियुक्त करने पर कर्मचारी लगातार विरोध कर रहे है।
दो जुलाई 2025 को विश्वविद्यालय परिसर में सभाओं के प्रतिनिधि और कर्मचारियों के बीच मारपीट की घटना हुई। इसी बीच कुलपति ने कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार के विरुद्ध शिकायत मिलने के बाद उन्हें पद से हटाया, जबकि कुलाधिपति एसके आर्य ने उन्हें पूर्ण कालिक कुलसचिव बताते हुए पद पर बने रहने के आदेश दिए थे। इसके बाद कुलपति ने प्रो. विपुल शर्मा को कार्यकारी कुलसचिव नियुक्त किया। ऐसे में कुलाधिपति और कुलपति के आदेश आमने-सामने आ गए थे।
कुलाधिपति की ओर से भेजे गए पत्र में प्रो. हेमलता पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कुलपति कार्यालय से बार-बार किए गए पत्राचार को नजरअंदाज किया और विश्वविद्यालय के महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक मामलों में अपेक्षित उत्तर नहीं दिए। पत्र में बताया गया कि प्रो. हेमलता को कुलाधिपति कार्यालय की ओर से 28 जून, 30 जून और तीन जुलाई को विभिन्न विषयों पर छह बार पत्र भेजे गए, जिनमें न तो उत्तर दिया गया और न ही आवश्यक कार्रवाई की गई।
दो जुलाई को विश्वविद्यालय परिसर में घटित एक भयावह घटना के दौरान प्रो. हेमलता की अनुपस्थिति और प्रबंधन बोर्ड के सदस्यों से न मिलने की स्थिति ने उनकी भूमिका को लेकर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हुए हैं।
इस संबंध में उनकी निष्क्रियता को नेतृत्व में गंभीर चूक बताते हुए कुलाधिपति ने कड़ा असंतोष व्यक्त किया है। इसके अलावा कुलाधिपति ने यह भी कहा है कि रजिस्ट्रार के विरुद्ध प्रो. हेमलता द्वारा की गई एकतरफा कार्रवाई बिना किसी परामर्श अथवा प्रक्रिया के की गई, जो विश्वविद्यालय प्रशासन के मानदंडों का उल्लंघन है।
पत्र में आरोप है कि उन्होंने प्रबंधन बोर्ड की बैठक तक बुलाने से परहेज किया, जिससे अनेक नीतिगत निर्णय अटके रह गए। कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय पत्राचार की फारेंसिक जांच की बात को भी गंभीर बताया। जबकि संबंधित ईमेल आइडी से भी पत्राचार किया गया। कुलाधिपति ने प्रो. हेमलता को तत्काल कन्या गुरुकुल परिसर, देहरादून स्थित समन्वयक कार्यालय में रिपोर्ट करने के निर्देश दिए हैं। वहीं कुलपति को हटाने के आदेश के बाद गुरुकुल में माहौल तनावपूर्ण हो गया है।
आदेशों के बीच द्वंद्व में फंसे प्रो. सुनील कुमार
हरिद्वार: प्रो. सुनील कुमार को पद से हटाने के बाद भी अभी तक उन्होंने अपनी मूल तैनाती पीजी कालेज देहरादून में रिपोर्ट नहीं किया है। वह गुरुकुल के कुलसचिव की जिम्मेदारी भी नहीं संभाल रहे हैं। कुलाधिपति और कुलपति के आदेशों के बीच प्रो. सुनील कुमार द्वंद में फंसे हुए हैं। फिलहाल प्रो. विपुल शर्मा गुरुकुल के कार्यवाहक कुलसचिव की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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