समर्थकों के साथ पूर्व विधायक शहजाद फिर से हाथी पर हुए सवार
पूर्व विधायक मोहम्मद शहजाद फिर से हाथी पर सवार हो गए हैं। बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप बालियान ने शहजाद को पार्टी की सदस्यता दिलाई।
रुड़की, [जेएनएन]: पूर्व विधायक मोहम्मद शहजाद फिर से हाथी पर सवार हो गए हैं। बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप बालियान ने शहजाद को पार्टी की सदस्यता दिलाई। उनके साथ 203 समर्थकों ने भी बसपा की सदस्यता ग्रहण की। मोहम्मद शहजाद को वर्ष 2017 में विस चुनाव से पूर्व बसपा से निष्कासित किया गया था।
बसपा कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप बालियान ने कहा कि उत्तराखंड की राजनीति हरिद्वार के ही इर्द गिर्द घूमती है। उन्होंने कहा कि झूठे वायदे करने वालों की सरकार से जनता त्रस्त हो चुकी है। बसपा के अलावा जनता के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। बसपा ही एक ऐसी पार्टी है जिसमें सभी धर्म और जाति के लोगों का हित सुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि मोहम्मद शहजाद के पार्टी में शामिल होने से पार्टी को और अधिक मजबूती मिलेगी। उन्होंने दावा किया कि आगामी लोकसभा में बसपा का प्रदर्शन जबरदस्त रहेगा और बहन मायावती देश की प्रधानमंत्री बनेगी।
इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष ने मोहम्मद शहजाद को फूल माला पहनाकर उनके पार्टी में शामिल होने की विधिवत घोषणा की। पूर्व विधायक मोहम्मद शहजाद ने बताया कि उन्हें भाजपा और कांग्रेस में शामिल होने के अनेक प्रस्ताव मिले, लेकिन उनकी निष्ठा बसपा से ही जुड़ी रही।
इस मौके पर पूर्व विधायक हरिदास, पूर्व विधायक सरवत करीम अंसारी, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप चौधरी, प्रदेश महासचिव सतीश कुमार, जिलाध्यक्ष राजेश कुमार, शीशपाल सैनी, कुंवर पाल सैनी, र¨वद्र पनियाला, सत्तार अली, निसार अहमद, मजहर हसनर, अदनान खान, विजेंद्र कुमार, अंजुम बेग, ऋषिपाल आदि मौजूद रहे।
समर्थकों में दिखा उत्साह
पूर्व विधायक शहजाद के बसपा में शामिल होने की खबर जैसे ही कार्यकर्ताओं को मिली तो उनके नहर किनारा स्थित समर्थकों की भीड़ जुट गई। समर्थकों में इसे लेकर जबर्दस्त उत्साह दिखा।
बदल सकती है जिपं की राजनीति
मोहम्मद शहजाद के बसपा में आने के बाद अब जिला पंचायत की राजनीति भी बदल सकती है। बताते चलें कि जिला पंचायत का चुनाव बसपा ने पूर्व विधायक मोहम्मद शहजाद के साथ लड़ा था। इस दौरान बसपा के सर्वाधिक 17 जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीते थे। जबकि कांग्रेस के 11 और तीन भाजपा के थे।
तब जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए सत्तार ने नामांकन किया था, लेकिन नाटकीय घटनाक्रम के तहत उनका नामांकन ही वापस करा दिया गया था। इसके चलते कांग्रेस की सविता चौधरी निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गई थी।
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