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    धीरेंद्र शास्त्री और कुमार विश्वास ने किया यमुना पूजन, एकता पद यात्रा का शुभारंभ करने से पहले पहुंचे उत्तरकाशी

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 05:32 AM (IST)

    धीरेंद्र शास्त्री और कुमार विश्वास ने उत्तरकाशी में यमुना पूजन किया। यह पूजन एकता पद यात्रा के शुभारंभ से पहले किया गया। इस पद यात्रा का उद्देश्य सामाजिक एकता और सद्भाव को बढ़ावा देना है। उत्तरकाशी में यमुना पूजन का विशेष महत्व है, क्योंकि यह यमुना नदी का उद्गम स्थल है।

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    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री और कवि डा. कुमार विश्वास ने बुधवार को गंगा व यमुना के संगम वाले गंगनानी कुंड के दर्शन किए। यहां मां यमुना के पूजन के बाद उन्होंने यमुनोत्री धाम के शीतकालीन प्रवास खरसाली पहुंचकर भी यमुना मां का आशीर्वाद लिया।

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    इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए सात से 16 नवंबर तक चलने वाली सनातन हिंदू एकता पद यात्रा से पहले वह मां यमुना का आशीर्वाद लेने उत्तरकाशी पहुंचे हैं और जैसा निर्मल व कंचन जल यमुना का यहां है। चाहते हैं कि दिल्ली समेत वृंदावन में भी ऐसा ही हो।

    बाबा बागेश्वर के नाम से प्रसिद्ध धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री व प्रसिद्ध डा. कवि कुमार विश्वास बुधवार को हेलीकाप्टर से यमुनोत्री हाईवे के निकट गंगनानी पहुंचे। जहां उन्होंने त्रिवेणी संगम गंगनानी कुंड के दर्शन किए। इस अवसर पर तीर्थ पुरोहितों ने यमुना तट पर मां गंगा का पूजन संपन्न करवाया।

    बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उन्हें देवभूमि उत्तराखंड की पावन भूमि गंगनानी में पहुंचकर प्रसन्नता है। यहां मां यमुना का जल कंचन व निर्मल है। कहा कि सात से 16 नवंबर तक दिल्ली से वृंदावन तक सनातन हिंदू एकता पद यात्रा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें गांव-गांव व गली-गली जाकर हिंदुओं को एकजुट करने का प्रयास किया जाएगा।

    अब इस देश में तनातनी नहीं सनातनी होंगे, गजवा-ए-हिंद नहीं बल्कि भगवा-ए-हिंद होगा। राम का विरोध नहीं, बल्कि समर्थन करने वालों की जय-जयकार होगी। कहा कि उन्होंने मां यमुना के किनारे संकल्प ले लिया है कि उनके तो रग रग में हिंदू हैं, रूकेंगे नहीं, झुकेंगे नहीं, जो छेड़ेगा उसे छोड़ेंगे नहीं।

    कवि कुमार विश्वास ने कहा कि यमुना तट पर एक बड़ा संकल्प लिया गया है। उनके अनुज धीरेंद्र शास्त्री दिल्ली से पद यात्रा शुरू कर बृजभूमि तक पहुंचे। उस संकल्प को पूर्ण करने के लिए तीर्थपुरोहितों के साथ मां यमुना के प्रवाह को प्रणाम किया गया है। कहा कि सनातन धर्म की पताका भारतीय युवा संतों के माध्यम से विश्वभर में फैलेगी।

    उल्लेखनीय है कि यमुनोत्री मार्ग पर स्थित गंगनानी कुंड में प्रयागराज से पहले गंगा व यमुना की जल धारा का संगम होता है। यह क्षेत्र ऋषि जमदग्नि की तपस्थली के रूप में भी मान्यता रखता है।