Updated: Sat, 09 Aug 2025 08:56 PM (IST)
उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा ने भारी तबाही मचाई है। मनोज भंडारी नामक व्यक्ति ने डेढ़ करोड़ की लागत से कॉटेज बनाए थे जो बाढ़ में बह गए। भंडारी की सतर्कता से कर्मचारियों की जान बच गई पर उन्होंने अपनी आँखों से धराली को बर्बाद होते देखा। कर्मचारी रविंद्र सिंह ने बताया कि किस तरह उन्होंने भागकर अपनी जान बचाई और तबाही का मंजर देखा।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। चारधाम यात्रा और हर्षिल के पर्यटन के सपनों की घाटी रही धराली अब मलबे के ढेर में खामोश हैं। उत्तरकाशी निवासी मनोज भंडारी ने एक साल पहले उम्मीदों की नींव पर डेढ़ करोड़ की लागत से धराली में सुंदर काटेज बनाए थे, जो खीर गंगा के सैलाब से तबाह हो गए हैं।
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शुक्र रहा कि मनोज भंडारी ने अपने काटेज के कर्मचारियों को तत्काल मुखवा की ओर भागने के लिए कहा, जिससे तीन कर्मचारियों की जान बच पाई। काटेज कर्मचारी रविंद्र सिंह ने बताया कि जब धराली में उफान आया, तब वे खाना बना रहे थे। भाग कर कीचन से बाहर आए तो देखा धराली का बाजार मलबे में समा गया।
तभी मनोज भंडारी ने उन्हें फोन किया और मुखवा की ओर भागने के लिए कहा। फिर हमारी नजरों के सामने हमारा काटेज सैलाब की जद में आया। उस रात हम सो भी नहीं पाए। रात भर रोते रहे। सुबह उठे तो धराली के तबाही में मंजर ने फिर से आंखें भर दी। इसके बाद हम मुखवा से हर्षिल होते हुए सुक्की टाप पहुंचे।
वहां हमें ग्रामीणों ने बताया कि डबराणी के पास रास्ता बंद है तो हम झाला लौट गए, लेकिन वहां पुलिस ने हमें हेलीपैड तक जाने नहीं दिया। फिर रात सुक्की में रहे। बृहस्पतिवार को सुक्की से हर्षिल गए। दो दिनों तक हेलीकाप्टर का इंतजार किया।
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