Dhanteras पर बन रहे पांच शुभ संयोग, 100 वर्ष के बाद पड़े इस योग में लक्ष्मी पूजन करने से कर्ज से मिलेगी मुक्ति
Dhanteras 2024 धनतेरस 2024 में पांच शुभ संयोग बन रहे हैं जो लगभग 100 वर्षों बाद हो रहा है। इस बार त्रिपुष्कर योग लक्ष्मी नारायण योग तिग्रही योग शश योग और सर्वार्थ सिद्धि योग एक साथ पड़ रहे हैं। इन शुभ योगों में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से कर्ज से मुक्ति मिलेगी और घर में सुख-समृद्धि आएगी।

जागरण संवाददाता, रुड़की। Dhanteras 2024: धनतेरस पर इस बार पांच शुभ संयोग बन रहे हैं। मंगलवार के दिन त्रयोदशी तिथि तथा त्रिपुष्कर योग इस पर्व को खास बनाएंगे। ज्योतिषाचार्य के अनुसार लगभग 100 वर्ष के बाद धनतेरस पर ऐसे संयोग पड़ रहे हैं। ऐसे योग में लक्ष्मी पूजन करने से कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इसे धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्यता की प्राप्ति होती है। साथ ही मां लक्ष्मी एवं गणेश पूजन करने से घर में संपन्नता आती है।
धनतेरस के पर्व पर पांच विशेष शुभ संयोग
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि 29 अक्टूबर को धनतेरस के पर्व पर पांच विशेष शुभ संयोग पड़ रहे हैं। इनमें पहला त्रिपुष्कर योग, दूसरा लक्ष्मी नारायण योग, तीसरा तिग्रही योग, चौथा शश योग और पांचवा सर्वार्थ सिद्धि योग शामिल है।
जहां त्रिपुष्कर योग में पूजन, खरीदारी एवं निवेश करने से तीन गुना लाभ मिलता है, वहीं भौम प्रदोष का संयोग होने से व्यापार में उन्नति एवं कर्ज से मुक्ति प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि धनतेरस पर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, इंद्र, कुबेर आदि की पूजा करने से 13 गुना फल की प्राप्ति होती है। साथ ही चल-अचल संपत्ति खरीदने से 13 गुना की वृद्धि होती है।
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खरीदारी के लिए यह समय रहेगा शुभ
रुड़की: धनतेरस के दिन घर में 13 दीपक जलाने का विशेष महत्व होता है। आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि इस वर्ष धनतेरस पर खरीदारी के लिए सुबह नौ बजे से लेकर दोपहर एक बजकर 30 मिनट के मध्य तथा शाम को तीन बजे से लेकर चार बजकर 30 मिनट के मध्य का मुहूर्त अधिक शुभ रहेगा। इस दौरान त्रिपुष्कर योग, चर लाभ और अमृत की चौघड़िया विद्यमान रहेगी।
पूजन के लिए यह रहेगा शुभ मुहूर्त
रुड़की: धनतेरस के दिन घर में पूजा करने का समय शाम पांच बजे से लेकर छह बजकर 30 मिनट के मध्य चर लग्न में तथा शाम सात बजकर 30 मिनट से लेकर रात नौ बजे के मध्य लाभ चौघड़िया एवं स्थिर लगन में उत्तम रहेगा। व्यावसायिक पूजन के लिए सुबह नौ बजे से लेकर दस बजकर 30 मिनट के मध्य, दोपहर में 12 बजकर 20 मिनट से लेकर दो बजे के मध्य और शाम को पांच बजे से लेकर छह बजकर 30 मिनट के मध्य का उत्तम होगा।
धनतेरस पर बर्तन खरीदने की खास परंपरा
रुड़की: धनतेरस पर बर्तन खरीदने की खास परंपरा है। विशेषकर इस दिन चांदी के बर्तन खरीदने से मां लक्ष्मी को संतुष्टि प्राप्त होती है। क्योंकि चांदी में चंद्रमा का वास होता है। इसलिए चांदी के बर्तन अथवा मां लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की मूर्ति खरीदने से शुभ होता है। चांदी के बर्तन तथा मूर्ति के अलावा इस दिन नमक, धनिया, झाड़ू, कमलगट्टे आदि खरीदने से घर में संपन्नता आती है और सुख-समृद्धि का वास होता है।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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