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    Uttarakhand: साइबर ठगी के फर्जीवाड़े में हाई कोर्ट को किया गुमराह, मास्टरमाइंड के खिलाफ हरिद्वार से सहारनपुर तक केस

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 08:58 PM (IST)

    Cyber Fraud ज्वालापुर में साइबर ठगी के एक मामले में मास्टरमाइंड कृष्णकांत ने पुलिस और हाई कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की। उसने सुरेंद्र के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कराकर दबाव बनाने की योजना बनाई ताकि खाताधारकों को तुरंत गिरफ्तार किया जा सके। हालांकि पुलिस ने साजिश का पर्दाफाश कर दिया और कृष्णकांत की तलाश जारी है।

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    मुकदमा दर्ज कराने के फौरन बाद हाइकोर्ट में दाखिल की याचिका. File

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार। ज्वालापुर में साइबर ठगी का फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वाले मास्टरमाइंड कृष्णकांत ने अपनी साजिश कामयाब करने के लिए पुलिस से लेकर हाई कोर्ट तक को गुमराह किया। मुकदमा दर्ज कराते ही सुरेंद्र से नैनीताल हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कराई गई कि उसकी सुनवाई नहीं हो रही है।

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    कृष्णकांत की प्लानिंग थी कि हाई कोर्ट का दबाव पड़ने पर पुलिस आनन-फानन में खाताधारकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दे। इस योजना में वह कुछ हद तक कामयाब भी रहे। हाई कोर्ट ने सुरेंद्र की याचिका को जनहित याचिका के तौर पर सुनने का फैसला लिया और हरिद्वार एसएसपी से लेकर साइबर थाने के एसएसपी तक को तलब किया, लेकिन हाई कोर्ट की सख्ती और दबाव के बीच पुलिस ने साजिश को बेनकाब कर दूध का दूध, पानी का पानी कर दिया।

    सुरेंद्र निवासी सुभाषनगर में एक महीना पहले 30 हजार की साइबर ठगी का मुकदमा दर्ज कराया था। शनिवार को पुलिस ने सरेंद्र सहित तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर साइबर ठगी के फर्जीवाड़े के पीछे खतरनाक साजिश का भंडाफोड़ किया था। सामने आया कि नारसन खुर्द निवासी कृष्णकांत धोखाधड़ी का मास्टर है।

    उसके खिलाफ हरिद्वार में रानीपुर, गंगनहर, मंगलौर कोतवालियों से लेकर सहारनपुर के नागल, देवबंद थाने तक में धोखाधड़ी के लगभग 10 मुकदमें दर्ज चले आ रहे हैं। जबकि गिरफ्तार हुए उसके भाई डेविड पर भी हरिद्वार और सहारनपुर में छह मुकदमें दर्ज हैं। कृष्णकांत ने सुरेंद्र की ओर से दर्ज कराए गए साइबर ठगी के एक ही मुकदमे में सभी पीड़ितों को शिकार बनाने के लिए खतरनाक साजिश रची।

    अमूमन साइबर ठगी के मुकदमों में तकनीकी इनपुट मिलने के बाद ही पुलिस कार्रवाई कर पाती है। मगर सुरेंद्र की ओर से 30 हजार की ठगी का मुकदमा दर्ज करते ही पुलिस पांच खातों में 25 हजार की रकम होल्ड भी करा चुकी थी। वहीं, खाताधारक खुद सुरेंद्र से संपर्क कर रकम लाैटाने की पेशकश कर चुके थे। लेकिन सुरेंद्र पैसे लेने को तैयार नहीं हुआ। तब खाताधारकों को भी माजरा अजीब लगा। उन्होंने अपने बचाव के लिए नजदीकी पुलिस थानों में शिकायत दर्ज कराई।

    इधर, प्लानिंग के तहत सुरेंद्र ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ताकि हाइकोर्ट के प्रेशर में उनकी साजिश कामयाब हो सके। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुरेंद्र की याचिका पर जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई की। जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक, टेलीकाम कंपनियों, केंद्रीय संचार मंत्रालय, राज्य में संचालित प्राइवेट बैंकों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा गया।

    वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से आइजी कानून व्यवस्था नीलेश आनंद भरणे, एसएसपी साइबर क्राइम नवनीत भुल्लर, एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल हाई कोर्ट में पेश हुए थे। इस बीच सुरेंद्र के मुकदमे की कड़ियां खंगालते हुए पुलिस की जांच गहरी साजिश के पटाक्षेप पर जाकर रुकी। खुलासा होने पर पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए। पुलिस अब शिद्दत से मास्टरमाइंड कृष्णकांत की तलाश में जुटी है।

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