जागरण संवाददाता, रुड़की। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने स्थानीय पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर एक निजी अस्पताल पर छापा मारा है। अस्पताल में बिना अनुमति कोविड मरीजों को भर्ती किया गया था। टीम ने अस्पताल के क्लीनिक को सील कर दिया है। चिकित्सक के खिलाफ आपदा प्रबंधन के तहत मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। वहीं, जब तक भर्ती कोविड मरीजों के शिफ्ट करने की व्यवस्था नहीं हो जाती है तब तक उनका उपचार इसी अस्पताल में चलेगा। अब कोई और कोविड मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं होंगे।
आवास-विकास में डॉ. एनडी अरोड़ा का हार्ट एंड किडनी केयर एंड डायग्नोजिस्ट अस्पताल है। स्वास्थ्य विभाग को सूचना मिली थी कि इस अस्पताल में बिना अनुमति कोविड मरीजों को भर्ती किया गया है। उनका उपचार डॉ. एनडी अरोड़ा कर रहे हैं, जिसके चलते बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एसीएमओ डॉ. एचडी शाक्य के नेतृत्व में डॉ. एनडी अरोड़ा के अस्पताल पर छापा मारा। एएसडीएम रुड़की पूरण सिंह राणा भी टीम की कार्रवाई में शामिल रहे। एसीएमओ डॉ. एचडी शाक्य ने बताया कि अस्पताल का निरीक्षण करने पर वहां पर सात मरीज भर्ती मिले। इनमें से पांच मरीज कोविड के थे, जबकि दो मरीज सामान्य बीमारी से पीड़ित थे।
बिना अनुमति कोविड मरीजों को भर्ती करके उनका उपचार करने के चलते डॉ. एनडी अरोड़ा का क्लीनिक सील कर दिया गया है। हालांकि नर्सिंग होम को अभी सील नहीं किया गया है। उसमें भर्ती मरीजों को शिफ्ट कराने की व्यवस्था की जा रही है। तब तक डॉ. एनडी अरोड़ा ही इन मरीजों की देखभाल करेंगे। वह अब अन्य कोई कोविड मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं करेंगे। एएसडीएम पूरण सिंह राणा ने बताया कि डॉ. एनडी अरोड़ा के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। इस दौरान गंगनहर कोतवाली पुलिस भी मौके पर मौजूद रही।
विवादों से पुराना नाता है डॉ. एनडी अरोड़ा का
डॉ. एनडी अरोड़ा का विवादों से पुराना नाता है। वह पहले भी कई बार नियम विरुद्ध काम कर चुके हैं। दो माह पूर्व ही आठ मार्च को हरियाणा भिवानी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने डॉ. एनडी अरोड़ा के नर्सिंग होम पर छापा मारा था। छापे के दौरान टीम ने उन्हें रंगेहाथ अल्ट्रासाउंड मशीन पर गर्भस्थ शिशु के लिंग परीक्षण करते हुए गिरफ्तार किया था।
हाल में वह जमानत पर रिहा होकर आए हैं। यही नहीं चार साल पहले भी हरियाणा अंबाला की स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उन्हें लिंग परीक्षण जांच में रंगेहाथ पकड़ा था, लेकिन अच्छी सेटिंग होने के चलते वह बच गए थे। जबकि सिविल अस्पताल रुड़की में संविदा चिकित्सक रहते हुए वह एक पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर भी विवादों में रहे। मार्च में जिस समय उन्हें गिरफ्तार किया गया था उस समय वह मंगलौर सीएचसी में संविदा चिकित्सक के रूप में तैनात थे।
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