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    उत्तराखंड में हिंदी और गणित में पिछड़े बच्चे, अब टीचरों की लग रही क्लास

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 04:38 PM (IST)

    हल्द्वानी में, भाषा और संख्या ज्ञान में बच्चों के पिछड़े प्रदर्शन के बाद, शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण-2024 में राज् ...और पढ़ें

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    परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण-2024 में राज्य का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कम होने पर दी जा रही ट्रेनिंग। जागरण

    अनुज कटारिया, रुड़की। बच्चों के भाषा और संख्या ज्ञान में पिछड़ने पर शिक्षकों को कुछ नया करने और इस खाई को पाटने का टारगेट दिया जा रहा है। इसके लिए बकायदा उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है कि कैसे नई तकनीक के तहत भाषा और संख्या ज्ञान को बच्चों तक पहुंचाया जाए और प्राइमरी कक्षा से ही उन्हें निपुण बनाया जाए। शिक्षकों को खुद पढ़ने और पढ़ाने की यह प्रक्रिया परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण-2024 की रिपोर्ट के बाद शुरू हुई है। इसे आधारभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान (एफएलएन) कार्यक्रम नाम दिया गया है।

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    दरअसल, तीसरी कक्षा के विद्यार्थियों की भाषा और गणित में दक्षता आकने के लिए आयोजित राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में राज्य का प्रदर्शन अपेक्षानुरुप नहीं रहा। बड़ी संख्या में बच्चे जोड़-घटाव, गुणा-भाग और भाषा पढ़ने-लिखने जैसे बुनियादी कौशल में दमखम नहीं दिखा पाए।

    केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत चार दिसंबर 2024 को सीबीएसई की ओर से देशभर में कक्षा-3, 6 और 9 के छात्रों की गणित व भाषा दक्षता का सर्वेक्षण आयोजित किया गया था। उत्तराखंड में सभी निजी और सरकारी विद्यालयों के तीसरी कक्षा के बच्चे इसमें शामिल हुए थे। सर्वे का मकसद यह जानना था कि बच्चे गणनाएं जैसे जोड़, घटाव, गुणा-भाग को कितना समझ पाते हैं और भाषा में पढ़ने-लिखने की क्षमता कितनी विकसित है। रिपोर्ट के अनुसार इसमें गणित का राज्य औसत 60 प्रतिशत और भाषा का औसत 59 प्रतिशत रहा, जो उत्तर प्रदेश के औसत 65 प्रतिशत से कम है।

    जनपदवार विश्लेषण में बागेश्वर सर्वाधिक मजबूत जिला बनकर उभरा। यहां भाषा में 72 प्रतिशत और गणित में 67 प्रतिशत बच्चों ने औसत प्रदर्शन किया। भाषा में जिला रुद्रप्रयाग 54 प्रतिशत के साथ सबसे कमजोर पाया गया। अब बच्चों में बुनियादी गणितीय समझ की कमी को दूर करने के लिए डायट हरिद्वार की ओर से आधारभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान यानी एफएलएन कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसमें शिक्षकों को संख्या ज्ञान और भाषा कौशल के बेसिक प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।

    भाषा और गणित में कक्षा-3 का औसत प्रदर्शन (प्रतिशत में)

    • जिला, भाषा, गणित
    • अल्मोड़ा, 60, 55
    • बागेश्वर, 72, 67
    • चमोली, 59, 56
    • चंपावत, 59, 54
    • देहरादून, 56, 50
    • हरिद्वार, 59, 56
    • नैनीताल, 60, 56
    • पौड़ी, 59, 56
    • पिथौरागढ़, 65, 61
    • रुद्रप्रयाग, 54, 53
    • टिहरी, 61, 56
    • ऊधम सिंह नगर, 61, 58
    • उत्तरकाशी, 60, 57

    हरिद्वार जिले के कई विद्यालयों में छात्रों की संख्या अधिक है, जबकि शिक्षक अनुपात के अनुसार उपलब्ध नहीं हैं। इससे शिक्षण स्तर प्रभावित हुआ है। स्थिति को सुधारने के लिए जिलेभर में आधारभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान (एफएलएन) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत शिक्षकों को जोड़, घटाव, गुणा जैसे मूल गणित कौशल सरल तरीकों से पढ़ाने, भाषा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि बच्चों की सीखने की क्षमता मजबूत हो सके। -आशुतोष भंडारी, प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी, हरिद्वार