शांतिकुंज में छत्तीसगढ़ के स्वयंसेवक ने फांसी लगाकर की खुदकुशी Haridwar News
शांतिकुंज में छत्तीसगढ़ के एक स्वयंसेवी ने संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। स्वयंसेवी ने मरने से पहले अपने मोबाइल में एक संक्षिप्त सुसाइड नोट भी लिखा है।
हरिद्वार, जेएनएन। शांतिकुंज में छत्तीसगढ़ के एक स्वयंसेवी ने संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। स्वयंसेवी ने मरने से पहले अपने मोबाइल में एक संक्षिप्त सुसाइड नोट भी लिखा है। इसमें उसने खुद को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया गया है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराते हुए छानबीन शुरू कर दी है।
पुलिस के मुताबिक गांव दंडवन, जिला बस्तर छत्तीसगढ़ निवासी राजेंद्र नाथ पोयम वर्ष 1996 से शांतिकुंज में रहते आ रहे थे। साथ में, उनकी पत्नी रमशीला भी रहती थी। राजेंद्र नाथ शांतिकुंज में रहकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े कामकाज में सहयोग करते थे।
उन्होंने अपने कमरे में संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी लगा ली। घटना की सूचना पर एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय, सीओ सिटी अभय प्रताप सिंह, शहर कोतवाल अमरजीत सिंह व सप्तऋषि चौकी प्रभारी लखपत बुटोला शांतिकुंज पहुंचे और शव को नीचे उतरवाया।
पुलिस ने शांतिकुंज के सेवादारों से भी इसकी जानकारी ली। कमरे की तलाशी लेने पर सुसाइड नोट नहीं मिला। अलबत्ता मोबाइल चेक करने पर सुसाइड नोट जरूर मिला है। जिसमें लिखा गया है कि मैं अपनी मर्जी से यह कदम उठा रहा हूं। मेरी पत्नी को परेशान न किया जाए। इस बारे में मैंने किसी को कुछ नहीं बताया है।
पुलिस ने मोबाइल कब्जे में लेकर शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। सीओ सिटी अभय प्रताप सिंह ने बताया कि हर एंगल से मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मामले का खुलासा कर दिया जाएगा।
सुसाइड नोट छोड़ गया कई सवाल
राजेंद्र नाथ पोयम 25 साल पहले शांतिकुंज से जुड़े और तब से यहीं रहने लगे। वर्ष 2008 में उनकी शादी हुई। हालांकि उनके कोई संतान नहीं हुई। वर्ष 2016 में आखिरी बार वह अपने घर छत्तीसगढ़ गए थे। करीब ढाई दशक शांतिकुंज में गुजारने के बाद राजेंद्र नाथ का अचानक मौत को गले लगाना किसी को भी हजम नहीं हो रहा है।
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मोबाइल पर लिखा गया चार लाइन का सुसाइड नोट भी कई सवालों को जन्म दे रहा है। सुसाइड नोट की आखिरी लाइन में लिखा गया है कि इस बारे में मैंने किसी को कुछ नहीं बताया है। इस लाइन ने आत्महत्या के कारणों को उलझा कर रख दिया है। आखिर वह कौन सी बात थी, जिसके बारे में राजेंद्र नाथ ने मरते-मरते सफाई दी है कि उन्होंने इस बारे में किसी को नहीं बताया है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसी क्या वजह रही कि राजेंद्र नाथ ने जीने के बजाय मौत का रास्ता चुना।
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