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    Haridwar Lok Sabha Seat: चुनाव लड़ने को आतुर संत, खींच रहे एक-दूसरे की टांग, असमंजस में भाजपा

    हरिद्वार लोकसभा सीट को लेकर बीजेपी के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। इस सीट पर दावेदारी के लिए आधा दर्जनों संतों ने ताल ठोंक दी है। संतों के बीच मैदान में उतरने का उतावलापन कुछ इस तरह का है कि वह अब एक दूसरे की टांग खींचने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। ऐसे में मामला दिलचस्प हो चला है।

    By Anoop kumar singh Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Wed, 06 Mar 2024 01:45 PM (IST)
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    Haridwar Lok Sabha Seat: चुनाव लड़ने को आतुर संत, खींच रहे एक-दूसरे की टांग

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार। हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट की चाहत में आधा दर्जन से अधिक संतों ने ताल ठोंक हुई है। इनमें महामंडलेश्वर स्वामी उपेंद्र प्रकाश, महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि, स्वामी यतीश्वरानंद का नाम प्रमुख है।

    इनके साथ ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी का नाम भी लिया जा रहा है। हरिद्वार लोकसभा संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट की चाहत में उनका बायोडाटा इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर वायरल है।

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    हालांकि श्रीमहंत रविंद्र पुरी इससे इनकार करते हैं और चुनाव लड़ने-लड़वाने को आतुर अपने विरोधी की घिनौनी चाल बता रहे हैं।

    राजनीतिक हलकों में इसे लेकर चर्चा आम है कि संत बाहुल संसदीय सीट हरिद्वार से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने को लेकर संतों के इस उतावलेपन को लेकर भाजपा सनगठन असमंजस में है, यही वजह है कि पार्टी को यहां से प्रत्याशी चयन को लेकर देरी हो रही है।

    सीट से भाजपा प्रत्याशी के तौर हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अब अनिल बलूनी के नामों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। चुनावी टिकट के लिए राजनीतिज्ञों में तो खींचतान और जूतम-पैजार के किस्से तो आम हैं पर, संतों में भाजपा के टिकट के लिए ऐसा होता पहली बार देख जा रहा है।

    आरोप है कि चुनावी टिकट की दरकार रखने वाले महामंडलेश्वर स्तर के एक बड़े संत का नाम ही प्रदेश भाजपा संगठन की ओर से भेजे जाने वाले पैनल से गायब करा दिया गया तो टिकट के लिए एक दूसरे संत ने भाजपाई संतों संग कांग्रेसी संतों का समर्थन दिखाते पार्टी आला कमान को अपने दावेदारी पेश कर दी।

    इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि उनका समर्थन योग-आयुर्वेद में खासा दखल रखने वाले 'बाबा भी कर रहे थे पर, बाद में मामला फिट न बैठने पर उन्होंने किनारा कर लिया। वहीं एक अन्य महामंडलेश्वर की दावेदारी का विरोध उनके ही लोगों ने एक दूसरे संत से मिल जनता में उनकी पैठ न होने की शिकायत कर दिया।

    सबसे रोचक किस्सा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी मामले का है। इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर हरिद्वार लोकसभा चुनाव लड़ने को टिकट मांगने के लिए उनका एक बायोडाटा वायरल हो रहा है। इसमें धर्म-अध्यात्म के साथ-साथ समाज सेवा को किए गए उनके कार्यों का तो ब्यौरा है ही, साथ ही कोविड काल के दौरान सरकार को दिए गए उनके आर्थिक सहयोग की भी जानकारी प्रमुखता से दी गई है।

    साथ ही दावा किया गया है कि उन्होंने टिकट की चाहत में इसे लेकर दिल्ली में भाजपा नेताओं की परिक्रमा कर रहे हैं। हालांकि श्रीमहंत रविंद्र पुरी इससे इनकार कर रहे हैं, उनका कहना है कि न तो उन्होंने कोई बायोडाटा तैयार किया है और न ही टिकट की मांग की है।

    यहां तक कि वह दिल्ली भी नहीं गए। वह तो पिछले दिनों अपने गुरु को ब्रह्मलीन होने पर हरियाणा गए थे। जिसे लेकर विरोधी संतों ने उनकी छवि बिगाड़ने को ओछी हरकत करते हुए इंटरनेट मीडिया पर यह अनर्गल प्रचार कर दिया।