भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने की बाबा रामदेव के बयान की निंदा, कही ये बात
भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने बाबा रामदेव के बयान कि कड़ी निंदा की है। कहा कि बाबा रामदेव को बताना चाहिए कि यदि किसी व्यक्ति के मा ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने बाबा रामदेव के बयान कि कड़ी निंदा की है। कहा कि बाबा रामदेव को बताना चाहिए कि यदि किसी व्यक्ति के माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं और वह व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उसकी सजा किसे दी जाए।
शनिवार को स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने अपने लिखित बयान में यह बात कही। कहा कि शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को जो भी सुख-दुख प्राप्त होता है। वह उसके अच्छे-बुरे कर्मों का फल ही होता है। इसमें किसी के माता पिता, भाई बहन या किसी अन्य व्यक्ति का दोष नहीं होता। अपने कर्मो की सजा तो स्वयं ही भुगतनी पड़ती है।
स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि यदि बाबा रामदेव का बयान सही है तो सबसे पहले वे अपने माता-पिता को दंडित करें, क्योंकि बचपन में वे भी बीमार हुए थे। बाबा रामदेव की योग शिक्षा पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि जहां तक उनके योग की बात है। योग केवल पेट घुमाना और हाथ-पैर घुमाना ही नहीं है। स्वामी रामदेव पहले भारतीयों के जींस पहनने पर बुराई करते थे कि जींस का पहनावा विदेशी है। अब वे कहते हैं कि जींस पहनना संस्कारी है और स्वदेशी है।
कहा कि बाबा रामदेव को योग, हठ योग, कपालभाति एवं नाड़ी योग की परिभाषा में अंतर स्पष्ट करना चाहिए, क्योंकि केवल बाहरी शरीर की एक्सरसाइज करने से योग की परिभाषा सिद्ध नहीं होती। जबकि पतंजलि के सिद्धांत आदि जगद्गुरु शंकराचार्य के सिद्धांत और भागवत गीता के सिद्धांत से भिन्न है, क्योंकि इनके अनुसार योग, बाहरी शरीर से नहीं होता है।
इसका शाब्दिक अर्थ मनुष्य के श्वास, मन व बुद्धि से योग करना होता है, ना कि किसी बाह्य शरीर से। मीडिया में बाबा रामदेव का यह बयान काफी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जिन माता-पिता, अभिभावकों के बच्चे बीमार होते हैं, उन माता-पिता व अभिभावकों को दंडित करना चाहिए।

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