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फोटो 26,,, संस्कृत नाटक भारतीय नाट्य परंपरा के आधार: डॉ. मिश्र

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से सोमवार को देर शाम संस्कृत

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Feb 2018 08:46 PM (IST)Updated: Tue, 06 Feb 2018 08:46 PM (IST)
फोटो 26,,, संस्कृत नाटक भारतीय नाट्य परंपरा के आधार: डॉ. मिश्र
फोटो 26,,, संस्कृत नाटक भारतीय नाट्य परंपरा के आधार: डॉ. मिश्र

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से सोमवार को देर शाम संस्कृत के प्रचार-प्रसार और संस्कृत नाट्य विधा को विकसित करने के लिए महाकवि भास विरचित 'ऊरुभंगम' संस्कृतनाटक के प्रशिक्षण का शुभारंभ हुआ। प्रशिक्षण उपरांत 18 से 27 फरवरी तक प्रदेश के आठ स्थानों पर इसका मंचन किया जाएगा।

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अकादमी के सचिव गिरधर ¨सह भाकुनी ने बताया कि संस्कृत के प्रचार-प्रसार एवं संस्कृत नाट्य विधा को विकसित करने के लिए डॉ. अजीत पंवार के निर्देशन में उत्तराखंड के प्रतिभावान छात्रों को प्रशिक्षण अकादमी के सभागार में पांच से 17 फरवरी तक संस्कृत नाटक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नाट्य प्रशिक्षण के बाद 18 फरवरी से 27 फरवरी तक प्रदेश के आठ स्थानों में महाकवि भास विरचित 'ऊरुभंगम' संस्कृत नाटक का मंचन किया जायेगा। बतौर मुख्य अतिथि श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. निरंजन मिश्र ने कहा कि संस्कृत नाटक भारतीय नाट्य परंपरा के आधार हैं। कहा कि संस्कृत के नाटक में जो विधाएं हैं, वह अन्यत्र नहीं प्राप्त होते हैं। डॉ. मिश्र ने महाकवि कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम संस्कृत नाटक का उदाहरण देकर कहा कि इसमें केवल नाटक ही नहीं बल्कि वह विश्व संस्कृति और भारत संस्कृति का समुद्र है। विशिष्ट अतिथि चीफ हेल्थ इंस्पेक्टर राकेश पाठक ने कहा कि संस्कृत भाषा सबसे समृद्ध और प्रामाणिक भाषा है। संस्कृत भाषा के संरक्षण से ही अन्य भाषाओं का विकास संभव होगा। पाठक ने बताया कि आज विदेशों में संस्कृत के सूत्रों के आधार पर ही वहां के लोग अपने प्रबंधन को ठीक कर रहे हैं। संस्कृत के मंत्रों पर बड़ा शोध चल रहा है। अकादमी के कोषाध्यक्ष नवीन नैथानी ने कहा कि संस्कृत भाषा में ही हमारी संस्कृति, सदाचार और जीवन की विधियां निहित हैं। संस्कृतभाषा के संव‌र्द्धन से ही हम अपनी संस्कृति और ज्ञान विज्ञान को पहचान सकते हैं। संस्कृत नाट्य प्रशिक्षण और नाट्य यात्रा के संयोजक डॉ. हरीश चंद्र गुरुरानी ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के कला एवं संस्कृति विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर व नाट्य निदेशक डॉ. अजीत पंवार, नाट्य प्रशिक्षण के सह निदेशक रंगकर्मी दिनेश प्रसाद भट्ट, अकादमी के प्रकाशन अधिकारी किशोरी लाल रतूड़ी, शोध सहायक डॉ. सीएसआर ¨लगारेड्डी, वेदाचार्य नवीन चंद्र उप्रेती, लीला रावत, राधेश्याम, रमा कठैत, गणेश प्रसाद फोन्दणी, पंकज नेगी, अजय जोशी, कविता, टीके अग्रवाल आदि उपस्थित थे।


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