Baba Ramdev ने उठाए सवाल, कहा - शैशव काल में है मेडिकल साइंस, इसलिए बूस्टर डोज के बाद भी हो रहा कोरोना
Baba Ramdev बाबा रामदेव ने एक बार दोबारा आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (Modern Medical Science) पर सवाल उठाए हैं। कहा है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (Modern ...और पढ़ें

टीम जागरण, हरिद्वार : Baba Ramdev : योग गुरु बाबा रामदेव ने एक बार दोबारा आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (Modern Medical Science) पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने हरिद्वार में एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही।
लोगों को प्राकृतिक जीवनशैली को अपनाना होगा
योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (Modern Medical Science) शैशव काल में है। यही वजह है कि बूस्टर डोज के बाद भी लोगों को कोरोना हो रहा है। लोगों को प्राकृतिक जीवनशैली को अपनाना होगा। यह बात उन्होंने पतंजलि में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन कही।
जड़ी-बूटी (Herbs) की ओर लौटेगी दुनिया
करोड़ों व्यक्तियों ने अपनी गृहवाटिका में तुलसी, एलोवेरा और गिलोय को स्थान दिया है। जो उन्हें स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान कर रहा है। दुनिया जड़ी-बूटी की ओर लौटेगी। गिलोय के ऊपर रिसर्च करें और दवाइयां बनाएं तो भारत विश्व में बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
बाबा रामदेव ने की बड़ी घोषणा
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बाबा रामदेव ने आज एक बड़ी घोषणा करते हुये कहा कि जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है तब देश के प्रधांनमत्री ने एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक कार्य किया है।
आज भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन कर दिया है। 1835 में जो मैकाले पाप करके गया था उसको साफ करने का कार्य पंतजलि भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से करने जा रहा है। अब भारत में भारत के बच्चों का मानस भारतीयता के अनुसार तैयार किया जायेगा।
इस पुण्य कार्य के लिये उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही भारत सरकार के शिक्षा मंत्री धमेन्द्र प्रधान का व राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का अभार व्यक्त किया।
पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित किया जा रहा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
सम्मेलन के तीसरे दिन आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने हेल्थ केयर में चुनौतियां और माडर्न मेडिसिन और आयुर्वेद का मिला-जुला दृष्टिकोण पर चर्चा की।
उन्होंने बताया कि कोविड के दौरान आयुष विधा का योगदान संपूर्ण विश्व में देखा। आयुष संजीवनी ऐप पर आए 1.47 करोड़ डाटा के विश्लेषण में पाया कि 89 प्रतिशत लोगों ने कोविड के दौरान आयुष की विधा का उपयोग किया।

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