हरिद्वार में संतों का संकल्प, अर्धकुंभ 2027 का बजट पुनर्निर्माण और जनसेवा पर होगा खर्च
उत्तराखंड आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण हेतु संत समाज ने 2027 के हरिद्वार अर्धकुंभ मेले का बजट समर्पित करने का संकल्प लिया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पीड़ितों की मदद करना धर्मपीठों का कर्तव्य है। संतों ने सरकार से रुद्रप्रयाग गोपेश्वर व चंपावत जैसे क्षेत्रों में एम्स जैसे अस्पताल बनाने का आग्रह किया।

शैलेंद्र गोदियाल, जागरण हरिद्वार । उत्तराखंड की हालिया आपदा से प्रभावित पर्वतीय अंचलों को संबल देने के लिए संत समाज ने एक ऐतिहासिक और मानवीय निर्णय लिया है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में संतों ने घोषणा की कि वर्ष 2027 में हरिद्वार अर्धकुंभ मेला आयोजन पर होने वाला खर्च अब आपदा राहत और पुनर्निर्माण कार्यों के लिए समर्पित किया जाएगा। संत सरकार से भी इसके लिए आग्रह करेंगे। संतों ने कहा कि समाज की पीड़ा के समय धर्मपीठों का कर्तव्य है कि वे जनकल्याण के लिए आगे आएं।
निरंजनी अखाड़े में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में उत्तराखंड की सबसे बड़ी आवश्यकता भव्य आयोजन नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण है।
उन्होंने कहा कि अर्धकुंभ मेले में भंडारों, झांकियों और विभिन्न आयोजनों पर खर्च की जाने वाली धनराशि अब उन गांवों की दशा बदलने में लगेगी, जिन्होंने अपने स्वजन, घर और भविष्य इस आपदा में खो दिया है। यह पितृपक्ष का समय है, और जिन आत्माओं को आपदा ने असमय छीन लिया, उनकी अपूर्ण इच्छाओं को पूरा करना ही संत समाज की ओर से सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि संत समाज सरकार के साथ हर स्तर पर खड़ा है। 18 सितंबर को प्रस्तावित बैठक में सभी अखाड़े अपनी ओर से मदद की औपचारिक घोषणा करेंगे और इसे परिषद के स्तर से मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा।
सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य पर स्पष्ट खाका
हरिद्वार : बैठक में संतों ने प्रदेश और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह प्राथमिकता के आधार पर बताए कि किस क्षेत्र में सड़क, पुल, विद्यालय और अस्पताल की जरूरत है। जहां संत समाज पूरे मन से सहयोग कर सकते हैं। संत समाज ने विशेष रूप से रुद्रप्रयाग व गोपेश्वर और चंपावत व पिथौरागढ़ क्षेत्रों में एम्स जैसे अस्पताल और विश्वविद्यालय स्थापित करने का सुझाव रखे। संतों ने यह भी कहा कि भविष्य की आपदाओं से निपटने में सक्षम सड़कें और संस्थान बनाना ही उनकी प्राथमिकता होंगी।
इस बैठक में जूना अखाड़े के सभापति श्रीमहंत मोहन भारती महाराज, जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज, हिमालय पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर वीरेंद्र आनंद महाराज, बड़ा अखाड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर हरि चेतनानंद महाराज, निरंजनी अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव महंत राम रतन गिरी महाराज, अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत बलवंत सिंह महाराज, भारत माता मंदिर के महामंडलेश्वर ललिता नंद गिरी महाराज समेत सभी अखाड़ों के साधु-संत बैठक शामिल हुए ।
अर्धकुंभ की परंपरा पर भी उठे सवाल
हरिद्वार : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में अमृत स्नान को लेकर अभी कोई निर्णय लिया गया है। सूत्रों के अनुसार कई संतों ने इस बात पर आपत्ति जताई कि सरकार अघोषित रूप से अर्धकुंभ 2027 को कुंभ की तरह भव्य बनाने के लिए कह रहे है, जबकि सनातन परंपरा में हरिद्वार अर्धकुंभ में न तो अमृत स्नान होता है और न ही झांकियों की परंपरा रही है।
भले ही अभी कुछ संतों ने सहमति जताई कि महाशिवरात्रि के स्नान को प्रतीकात्मक रूप से अमृत स्नान किया जा सकता है । परंतु परंपरा के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ उचित नहीं। दरअसल वर्ष 2027 में नासिक में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होना है।
नासिक त्रिखण्डात्मक सिंहस्थ कुंभ मेला 31 अक्टूबर 2026 को ध्वजारोहण से प्रारम्भ होगा। जबकि हरिद्वार में अर्धकुंभ 2027 में मार्च से अप्रैल माह में होना है। इसमें एक पर्व स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति को भी होगा।
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