AIIMS Rishikesh बना उत्तराखण्ड का पहला सरकारी अस्पताल जहां हो सकेगी किडनी ट्रांसप्लांट, पहला केस सक्सेसफुल
किसी व्यक्ति के शरीर की जब दोनों किडनियां काम करना बन्द कर देती हैं तो उसे किडनी ट्रांसप्लान्ट (गुर्दा प्रत्यारोपण) की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य सेव ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: केन्द्र से किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट के संचालन हेतु आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद एम्स ऋषिकेश में गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू कर दी गयी है। हाल ही में यहां नैनीताल के एक 27 वर्षीय मरीज की किडनी प्रत्यारोपित कर उसे नया जीवन दिया गया है। यह इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी खर्च पर किया गया। एम्स ऋषिकेश उत्तराखण्ड का पहला सरकारी अस्पताल है जहां यह सुविधा शुरू हो गयी है।
किसी व्यक्ति के शरीर की जब दोनों किडनियां काम करना बन्द कर देती हैं तो उसे किडनी ट्रांसप्लान्ट (गुर्दा प्रत्यारोपण) की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में शरीर के किसी आर्गन (अंग) ट्रांसप्लान्ट तकनीक की यह प्रक्रिया अत्यन्त जटिल होती है। इस मामले में एम्स ऋषिकेश के यूरोलाजी, नेफ्रोलाजी और ऐनेस्थेसिया विभाग की संयुक्त टीम ने प्रत्यारोपण प्रक्रिया में सफलता हासिल की है।
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो.मीनू सिंह ने गुर्दा प्रत्यारोपण करने वाले डाक्टरों की टीम को बधाई दी और कहा कि हमारे विशेषज्ञ चिकित्सकों के प्रयास से यह उपलब्धि हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में एम्स दिल्ली के डाॅक्टरों का भी सहयोग रहा।
डा मीनू सिंह ने बताया कि मरीजों का जीवन बचाने के लिए एम्स ऋषिकेश कटिबद्ध है और निकट भविष्य में लीवर ट्रांसप्लान्ट सहित अन्य बीमारियों से सम्बन्धित आर्गन ट्रांसप्लान्ट की सुविधा भी शुरू की जाएगी। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने ट्रांसप्लान्ट करने वाली टीम की प्रशंसा की और कहा कि एम्स ऋषिकेश उत्तराखण्ड का पहला सरकारी अस्पताल है जहां यह सुविधा शुरू की गयी है।
टीम में ये विशेषज्ञ चिकित्सक रहे शामिल
एम्स यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अंकुर मित्तल, डा. विकास पंवार और डा. पीयूष गुप्ता, नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. गौरव शेखर, डा. शेरोन कण्डारी और डा. संदीप सैनी, ऐनेस्थेसिया विभाग के डा. संजय अग्रवाल, डा. वाईएस पयाल और डा. प्रवीन तलवार शामिल थे।
एम्स दिल्ली के चिकित्सकों का मिला सहयोग
ट्रांसप्लान्ट के लिए एम्स दिल्ली की ट्रांसप्लान्ट टीम के विशेषज्ञ चिकित्सकों को बतौर मार्गदर्शन के लिए बुलाया गया था। इस टीम में एम्स दिल्ली की ट्रांसप्लान्ट टीम के प्रो वीरेन्द्र कुमार बंसल, प्रो संदीप महाजन, प्रो लोकेश कश्यप, डा. संजीत सिंह और डा. राजेश्वर सिंह शामिल थे।
पिता ने दी बेटे को किडनी
जिस मरीज की किडनी ट्रांसप्लान्ट की गयी है वह मात्र 27 वर्ष की उम्र का है। युवक के पिता ने बेटे की जिन्दगी बचाने के लिए अपनी किडनी दान दी है। मरीज के पिता लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि उनके परिवार में चार लोग हैं और परिवार की सामूहिक राय के बाद यह निर्णय लिया गया।

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