Uttarkashi: गंगोत्री हाईवे पर झाला से जांगला तक काटे जाएंगे 6000 देवदार के पेड़, होने लगा विरोध
गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के कारण झाला से जांगला तक 6000 देवदार पेड़ों के काटे जाने की आशंका है। वन विभाग और बीआरओ ने पेड़ों को चिह्नित किया है जिस पर पर्यावरणीय संगठन विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ेगा। वन विभाग ने अभी कटाई का आदेश जारी नहीं किया है। बीआरओ ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ चिह्नांकन हुआ है कटाई नहीं।

शैलेंद्र गोदियाल, जागरण, उत्तरकाशी। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण कार्य के अंतर्गत झाला से जांगला के बीच लगभग 10 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में 6000 से अधिक देवदार के पेड़ पातन की जद में आ जाएंगे।
वन विभाग और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से इन पेड़ों पर क्रमांक अंकित कर चिह्नित किया गया है। हालांकि अभी भैरव घाटी से जांगला-झाला तक पहले चरण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) स्वीकृति के लिए भेजी गई है।
हिमालय संवेदनशील और इको सेंसेटिव क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में देवदार वृक्षों के चिह्नांकन को लेकर उत्तरकाशी सहित प्रदेशभर के कई पर्यावरणीय संगठन विरोध जता रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि इको-सेंसेटिव जोन में आने वाले इस क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पारिस्थितिक संतुलन के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।
इसके अलावा भूस्खलन और हिमस्खलन का खतरा भी बढ़ जाएगा। चारधाम सड़क परियोजना के तहत ऋषिकेश से लेकर उत्तरकाशी के चुंगी बड़ेथी तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। अब चुंगी बड़ेथी से भैरव घाटी तक लगभग 90 किलोमीटर सड़क को 12 मीटर चौड़ा करने की योजना है। यह कार्य बीआरओ द्वारा पांच चरणों में संपन्न किया जाएगा।
इस परियोजना का पहला चरण भैरव घाटी से झाला तक 15 किलोमीटर का है, जबकि दूसरे चरण में झाला से सुक्की प्रथम मोड़ तक सड़क चौड़ीकरण प्रस्तावित है।
इसी चरण में सुक्की बाईपास का निर्माण भी प्रस्तावित है, जिसमें सुक्की प्रथम मोड़ से भागीरथी नदी पर पुल बनाकर सड़क को झाला से जोड़ा जाएगा। सुक्की से तेखला तक तीसरा और चौथा चरण है। परियोजना का पांचवां चरण चुंगी बड़ेथी से तेखला के बीच है, जिसे सबसे पहले शुरू किया जाना है।
छपान को लेकर नहीं हुआ कोई आदेश
उत्तरकाशी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी डीपी बलूनी ने बताया कि झाला से जांगला के बीच जिन 6000 से अधिक पेड़ों की गणना की गई है। उनके छपान या कटान को लेकर अब तक कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। डीपीआर स्वीकृत होने के बाद ही अगली कार्यवाही होगी।
उन्होंने कहा कि पेड़ों की कटाई की प्रक्रिया में नंबरिंग के बाद घन का निशान लगाया जाता है, फिर रिपोर्ट वन निगम को भेजी जाती है। वन निगम जमीनी स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद टेंडर की प्रक्रिया शुरू करता है। अभी इस प्रक्रिया की कोई भी औपचारिक शुरुआत नहीं हुई है।
बीआरओ ने दी स्थिति की जानकारी
सीमा सड़क संगठन के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (बीआरओ पश्चिम) प्रसन्ना जोशी ने बताया कि भैरव घाटी से जांगला झाला तक पहले चरण की डीपीआर स्वीकृति के लिए भेजी गई है। झाला से सुक्की तक दूसरे चरण और सुक्की से भटवाड़ी तीसरे चरण की डीपीआर तैयार की जा रही है। इस पूरे क्षेत्र में अभी तक एक भी पेड़ नहीं काटा गया है, केवल काउंटिंग के लिए चिह्नांकन का कार्य किया गया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।