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    हरिद्वार में गंगा के बीच नजर आई ट्रेन की पटरी, 175 साल पुराना है ये ट्रेक; देखने वालों की लगी भीड़

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 03:10 PM (IST)

    हरिद्वार में दशहरा से 19 अक्टूबर तक गंग नहर बंद होने के बाद हरकी पैड़ी के पास गंगा में रेत के बीच अंग्रेजों के समय की रेलवे लाइन दिखाई दे रही है। यह रेलवे लाइन पहली बार 2024 में नजर आई। हरिद्वार रेलवे स्टेशन से लगभग तीन किलोमीटर दूर यह ट्रैक कौतूहल का विषय बना है। यह पटरी 1850 के आसपास गंग नहर के निर्माण के दौरान बनाई गई थी।

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    यह रेलवे लाइन वर्ष 2024 में पहली बार नजर आई थी। जागरण

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार। दशहरा से 19 अक्टूबर तक गंग नहर बंद किए जाने के बाद हरकी पैड़ी के पास गंगा के बीच रेत में अंग्रेजों के शासन काल में किडाई गई रेलवे लाइन नजर आने लगी है। यह रेलवे लाइन वर्ष 2024 में पहली बार नजर आई थी। हरिद्वार रेलवे स्टेशन से करीब तीन किलोमीटर दूर ये ट्रैक लोगों के मन में जिज्ञासा बना हुआ है।

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    जानकारी के अनुसार वर्ष 1850 के आसपास गंग नहर के निर्माण के दौरान इन ट्रैक पर चलने वाली हाथ गाड़ी का इस्तेमाल निर्माण सामग्री होने के लिए किया जाता था।

    भीमगोडा बैराज से डाम कोठी तफ डैम और तटबंध बनाए जाने का काम पूरा होने के बाद अंग्रेज अफसर निरीक्षण करने के लिए इन पर गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे। जानकार बताते हैं कि गंगनहर लार्ड डलहौजी का एक बड़ा प्रोजेक्ट था। जिसे इंजीनियर कोटले के सुपरविजन में तैयार किया गया था।

    ब्रिटिश काल में कई ऐसे बड़े निर्माण किए गए। जिनकी आधुनिक भारत में महत्वपूर्ण भूमिका है। इतिहासकारों का दावा है कि रुड़की कलियर के पास भारत की पहली रेल लाइन बिछाई गई थी। हालांकि इसे पहले रेलवे लाइन के रूप में पहचान नहीं मिल पाई।