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    Mussoorie जा रहे हैं तो ध्‍यान दें! सेफ नहीं है मसूरी-मालरोड रोपवे का सफर, ब्रिडकुल ने सौंपी रिपोर्ट

    मसूरी का मालरोड से गनहिल तक जाने वाला रोपवे सुरक्षित नहीं है। सरकारी उपक्रम ब्रिडकुल ने अपनी रिपोर्ट में इसे यात्रियों के लिए असुरक्षित बताया है। 1971 में बना यह 400 मीटर लंबा रोपवे, जिसमें बीच में कोई टावर नहीं है, पहले भी खतरनाक बताया गया था। झारखंड में हुए रोपवे हादसे के बाद हुए सर्वे में भी इसकी सुरक्षा पर सवाल उठे थे, हालांकि तब नगर पालिका ने इसे सुरक्षित बताया था। अब ब्रिडकुल ने स्पष्ट कर दिया है कि यह यात्रियों के लिए सुरक्षित नहीं है।

    By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 25 Jun 2025 03:18 PM (IST)
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    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। पर्वतों की रानी कहे जाने वाली मसूरी के मालरोड से गनहिल तक संचालित होने वाला रोपवे सुरक्षित नहीं है। प्रदेश में रोपवे की तकनीकी जांच करने के लिए अधिकृत सरकारी उपक्रम ब्रिडकुल ने इसकी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।

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    मसूरी के मालरोड पर वर्ष 1971 में रोपवे बनाया गया। 400 मीटर लंबा यह रोप वे गनहिल तक जाता है। गनहिल मसूरी के सबसे खूबसूरत स्थलों पर में से एक है। यहां तक पहुंचने का पैदल रास्ता भी है लेकिन पर्यटक रोपवे का रोमांच से भरे सफर का आनंद लेने से खुद को नहीं रोक पाते। प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक इस रोपवे से सफर का आनंद उठाते हैं। इसका स्वामित्व मसूरी नगर पालिका के पास है। जो इसके संचालन के लिए टेंडर निकालती है।

    झारखंड में वर्ष 2022 में देवघर में रोपवे हादसे के बाद उत्तराखंड में भी रोपवे का सर्वे किया गया था। इस दौरान मसूरी रोपवे का भी सर्वेक्षण किया गया, तब भी इसे खतरनाक बताया गया। यद्यपि तब मसूरी नगर पालिका ने इसे पूर्ण सुरक्षित बताया था।

    कहा गया कि इसमें लगी तारों को हर तीन माह में बदला जाता है और प्रतिदिन इसका निरीक्षण किया जाता है। कुछ समय पूर्व ब्रिडकुल ने इसका वार्षिक सर्वे किया था। ब्रिडकुल ने इसे यात्रियों के लिहाज से सुरक्षित नहीं माना है। इसका एक मुख्य कारण 400 मीटर लंबे इस रोपवे में बीच में कोई टावर न होना भी है। ब्रिडकुल के प्रबंध निदेशक एनपी सिंह ने इसकी पुष्टि की है।