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    जहां भी जाता है, वहां के रंग में स्वयं को समाहित कर लेता है ‘जागरण संवादी’

    जागरण संवादी का दूसरा संस्करण 28 जून से देहरादून में दो दिवसीय आयोजन के रूप में शुरू होगा। इसमें 30 से अधिक विशेषज्ञ वक्ता, जिनमें पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी, लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी और कवि बुद्धिनाथ मिश्र शामिल हैं, विभिन्न सत्रों में संवाद करेंगे। यह आयोजन अभिव्यक्ति का मंच प्रदान करेगा और उत्तराखंड की संस्कृति व विचारों को बढ़ावा देगा, जिसमें पारिस्थितिकी से आर्थिकी और 'माटी की महक' जैसे विषयों पर चर्चा होगी। इसका उद्देश्य स्वस्थ संवाद परंपरा को आगे बढ़ाना है।  

    By Nirmala Bohra Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 25 Jun 2025 03:37 PM (IST)
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    जागरण संवाददाता, देहरादून। अभिव्यक्ति के उत्सव ‘जागरण संवादी’ के दूसरे संस्करण में आपका स्वागत है। 28 जून से दून के मौजा मालसी, मसूरी डायवर्जन रोड स्थित फेयरफील्ड बाय मैरियट में शुरू होने वाले इस दो दिवसीय आयोजन में 13 सत्र होंगे, जिनमें देशभर के 30 से अधिक विशेषज्ञ वक्ता संवाद परंपरा का श्रेष्ठतम उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।

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    संवादी की यही विशेषता है कि जहां भी जाता है, वहां के रंग में स्वयं को समाहित कर लेता है। तभी तो दून के संवादधर्मी समाज को संवादी का बेसब्री से इंतजार है। जागरण की भी इस आयोजन के पीछे सोच यही है कि सहमति-असहमति के बीच अभिव्यक्ति का जो मंच सजे, वह संवाद की स्वस्थ परंपरा का संवाहक बने। इसी कारण संवादी लगातार लोकप्रियता की सीढ़ियां चढ़ता जा रहा है।

    दूनवासियों को संवादी के मंच पर उत्तराखंड की विभूतियों से रूबरू होने का भी मौका मिलेगा। इस बार संवादी की इस यात्रा का हिस्सा बने रहे हैं पर्यावरणविद पद्मभूषण डा. अनिल जोशी, लोकगायक एवं कवि नरेंद्र सिंह नेगी और कवि-गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र। आइए! उनके विचारों को आत्मसात करें और उनसे अपने मनोभाव साझा करें।

    पारिस्थितिकी से आर्थिकी की ओर
    उत्तराखंड में संवादी के मंच पर पारिस्थितिकी से आर्थिकी की बात न हो, यह कैसे संभव है। पर्यावरणविद् पद्मभूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी इसी विचार को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। वह कहते हैं कि नैतिक विकास सिद्धांत के अनुसार, राष्ट्र की पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था को समान महत्व दिया जाना चाहिए। वाणिज्य पर अपनी निर्भरता के परिणामस्वरूप हमने पारिस्थितिक मुद्दों को किनारे कर दिया है। जबकि, वास्तविकता यही है कि स्थिर पर्यावरण से ही लगातार आर्थिक विकास हो सकता है। ...तो आइए! संवाद के जरिये उनके इन्हीं विचारों को गति देने का प्रयास करें।

    आइए! महसूस करें ‘माटी की महक’
    उत्तराखंड की आत्मा को सुर देने वाले प्रसिद्ध लोकगायक एवं कवि नरेंद्र सिंह नेगी एक नाम नहीं, धरोहर हैं। उनके गीत सिर्फ सुनाई नहीं देते, बल्कि महसूस भी किए जाते हैं, जैसे बुरांश के फूलों की खुशबू, घुघुती की पुकार, पलायन की खामोश सिसकियां या ऐतिहासिक टिहरी के डूबने की पीड़ा। नेगी ने न केवल उत्तराखंड की बोली-भाषा और संस्कृति को जिया, बल्कि उसे हर दिल की आवाज भी बना दिया। तभी तो कहते हैं जिसने पहाड़ों को गाया नहीं, उसने उन्हें जाना ही नहीं। आइए! संवादी के माध्यम से हम भी नेगी के साथ ‘माटी की महक’ को महसूस करें।

    नदी रुकती नहीं है, लाख चाहे सेतु की कड़ियां पिन्हा दो
    कवि एवं गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र ने आपातकाल को भी जिया है। एक पत्रकार के रूप में, एक कवि के रूप में और एक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में। उस दौर में प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर अलग-अलग भूमिकाओं में कैसे बुद्धिनाथ अपनी गतिविधियों को जारी रखे रहे, उन्हीं अनुभवों को संवादी के मंच से वे आपके साथ साझा करेंगे। आपातकाल के दौर की उनकी चर्चित कविता, ‘नदी रुकती नहीं है, लाख चाहे सेतु की कड़ियां पिन्हा दो, ओढ़कर शैवाल वह चलती रहेगी’, को सुनने का भी यह सुनहरा मौका होगा।

    दैनिक जागरण अपने स्थापनाकाल से ही साहित्य, संस्कृति, हिंदी भाषा, कला के उन्नयन व विकास की दिशा में समर्पित भाव से कार्य करता आ रहा है। इसी क्रम में दून में लगातार दूसरे वर्ष 'संवादी' का आयोजन सराहनीय कदम है। संवादी में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले प्रतिष्ठित साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी व विचारक अपने विचार प्रस्तुत करेंगे, जो समाज के लिए उपयोगी साबित होंगे।
    - साधना शर्मा, अध्यक्ष, उत्तरांचल महिला एसोसिएशन

    साहित्यिक व सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध देहरादून शहर में दैनिक जागरण का संवादी कार्यक्रम सृजनात्मक वातावरण को परिष्कृत करने में अहम साबित होगा। संवादी में आने वाले अतिथियों की सूची देखकर शहरवासी प्रसन्न होंगे कि बौद्धिक जगत के स्वनामधन्य महानुभावों से संवाद करने का अवसर उनको सुलभ हो रहा है। इस तरह के रचनात्मक आयोजन नई पीढ़ी को भी दिशा देते हैं।
    -तन्मय ममगाईं, सचिव, धाद संस्था

    समाज के उत्थान एवं परिवर्तन में साहित्य व कला का बहुत बड़ा योगदान रहा है। अतीत में मीराबाई, सूरदास व संत रविदास जैसे लेखकों ने समाज की बुराइयों पर कुठाराघात किया। उम्मीद है दैनिक जागरण की ओर से आयोजित संवादी कार्यक्रम वर्तमान में आम जनता को लोक संस्कृति, कला व साहित्य के प्रभाव से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की चेतना देगा।
    - साध्वी अरुणिमा भारती, को-आर्डिनेटर, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, देहरादून

    जागरण संवादी हर वर्ग के लिए है। यहां संस्कृति, साहित्य, राजनीति, फिल्म, व्यापार आदि क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ अपनी बात रखेंगे। उत्तराखंडी लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को सुनने का भी मौका मिलेगा। विभिन्न सत्रों में विशेषज्ञों को सुनने के लिए सामाजिक संगठन से जुड़े लोगों में उत्साह है। जागरण ने संवाद और अभिव्यक्ति को जो मंच दिया है, वह अत्यंत सराहनीय है। इस सफल आयोजन के लिए बधाई।
    -नम्रता सिंह, समाजसेवी

    ‘संवादी’ को लेकर महिलाओं में उत्साह
    'जागरण संवादी' को लेकर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों में उत्साह है। उन्होंने अलग-अलग सत्र में विशेषज्ञों को सुनने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में दैनिक जागरण के पटेलनगर स्थित कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उत्तरांचल महिला एसोसिएशन (उमा) और जागरण संगिनी क्लब से जुड़ी महिलाओं ने बढ़-चढ़कर इस आयोजन में शामिल होने का संकल्प लिया। कहा कि पिछले वर्ष संस्था से जुड़ी कई महिलाओं ने संवादी के विभिन्न सत्रों में ज्ञानवर्धक और रोचक जानकारियां हासिल की थीं। इस मौके पर उन्होंने संवादी की पुरानी यादों को भी साझा किया। साथ ही संवादी के विभिन्न सत्रों के बारे में जानकारी ली।

    निम्न स्थानों से सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक प्राप्त कर सकते है ‘जागरण संवादी’ के निश्शुल्क आमंत्रण
    1. दैनिक जागरण कार्यालय, पटेल नगर
    2. कीवी किसान विंडो स्टोर, ईसी रोड
    3. कीवी किसान विंडो स्टोर, देव टावर्स जाखन, राजपुर रोड
    4. बुक वर्ल्ड, एस्लेहाल
    5. ऐलोरा मेल्टिंग मोमेंट्स, राजपुर रोड
    (इसके अलावा ई-आमंत्रण प्राप्त करने के लिए आप मोबाइल नंबर 8429021213 पर वाट्सएप कर सकते हैं)