योग और ध्यान कर पाएं निरोगी और स्वस्थ काया
अगर आप स्वस्थ और निरोगी काया चाहते हैं तो ध्यान और योग बेहद जरूरी है। इससे मन के साथ तन भी पूरी तरह से चिंता मुक्त हो जाता है।
ऋषिकेश, [जेएनएन]: परमार्थ निकेतन व आयुष मंत्रालय भारत सरकार के तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवें दिन योग साधकों ने गंगा तट पर योग कक्षाओं में पसीना बहाया। योग शिक्षकों ने साधकों को योग के जरिए निरोग रहने के सूत्र बताए।
परमार्थ निकेतन में ध्यान का अभ्यास कराते हुए अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक डॉ. साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि ध्यान, एकाग्रता तथा जागरूकता है। हमारा हृदय, दूसरों की पीड़ा को अनुभव करे, प्रकृति के प्रति संवेदनशील बना रहे और दुनिया में व्याप्त समस्याओं के समाधान के लिये प्रयत्नशील रहे यही ध्यान है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के प्रत्येक जीव की पीड़ा को अनुभव कर उसकी सुरक्षा के लिए प्रयत्न करना ही ध्यान से उत्पन्न जागरूकता है और योगी ही प्रकृति का सबसे जागरूक प्राणी है।
ब्राजील के प्रसिद्ध योगाचार्य प्रेम बाबा ने योग साधकों को महर्षि पंतजलि के अष्टांग योग यथा अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, यम-नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि के विषय में जानकारी दी। पर्यावरणविद् डॉ. वन्दना शिवा ने कहा कि योग सकारात्मक ऊर्जा का संचार कराता है। जिस प्रकार मां गंगा पूरे विश्व को एकता के सूत्र में बांधती है, उसी प्रकार योग भी एकत्व को जन्म देता है।
वहीं सांयकालीन सत्र में ग्लोबल म्यूजिक एंड डांस कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न देशों से आए योग साधकों ने दुनिया की संस्कृतियों को एक साथ लाने का संदेश दिया। रूसी संगीतकार डेनिस कुचेरोव द्वारा निर्देशित कार्यक्रम में पारंपरिक भरतनाट्यम और गुजरात से आए भारत बराई ने गुजराती लोक नृत्य तथा ब्रिटेन, मंगोलिया और दुनिया के अन्य देशों से आए कलाकारों ने अपने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया।