योग से आप जीवन में करेंगे परमानंद की अनुभूति
स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज का कहना है कि योग का अर्थ ही जुड़ना है। आत्मा को परमात्मा से जोड़ना, परमानंद और परम सुख से जोड़ना ही योग है।
ऋषिकेश, [जेएनएन]: चीन और फ्रांस का 55 सदस्यीय योग साधकों का दल परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम में योग की दीक्षा ले रहा है। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आश्रम पहुंचकर साधकों को योग का महत्व बताया।
परमार्थ प्रवक्ता के अनुसार बीते तीन माह से चीन और फ्रांस से आया योग साधकों का यह दल परमार्थ आश्रम में योग, प्राणायाम व ध्यान की दीक्षा ले रहा है। योग शिविर के साथ आश्रम परिसर में सांस्कृतिक आदान-प्रदान समारोह का आयोजन किया गया। आश्रम परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज व प्रदेश के उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने योग के महत्व के बारे में योग साधकों को बताया। इस अवसर पर स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि योग का अर्थ ही जुड़ना है। आत्मा को परमात्मा से जोड़ना, परमानंद और परम सुख से जोड़ना ही योग है। योग करें और सहयोग करें, यही सबसे बड़ा योग है।
उन्होंने कहा कि जीवन को अनुशासित करने की विधा ही योग हैं। सच्चे अर्थों में जब जीवन में योग का समावेश होता है तब जीवन योगमय हो जाता है। योग का संबंध किसी धर्म से नहीं है बल्कि सम्पूर्ण मानवता से है। योग की कोई थ्योरी नहीं है बल्कि योग तो विज्ञान है। एक ऐसा विज्ञान जिसके द्वारा जीवन ऊर्जावान बनता है। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि योगमय जीवन पद्धति ही श्रेष्ठ जीवन पद्धति है।
उन्होंने संस्कृत के अध्ययन पर भी जोर देते हुए कहा कि हमें अपनी संस्कृति का संरक्षण और प्रचार-प्रसार करते रहना चाहिए। हम जहां भी जाते हैं अपनी संस्कृति, देश, समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस अवसर पर विदेशी साधकों ने स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज के सानिध्य में योग को दुनिया से और दुनिया को योग से जोड़ने का संकल्प भी लिया।
यह भी पढ़ें: यहां बनेगा प्रदेश का पहला एक्युप्रेशर पार्क, चलेंगी योगा क्लास
यह भी पढ़ें: वॉक फॉर योगा के जरिये दिया स्वस्थ्य रहने का संदेश