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    Yamunotri Dham: शीतकाल के लिए बंद हुए विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट, अब खरसाली में होंगे मां के दर्शन

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sat, 06 Nov 2021 10:34 PM (IST)

    Yamunotri Dham यमुनोत्री धाम के कपाट भाई दूज के पावन पर्व पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। यमुना की डोली के मंदिर से बाहर निकलते ही जयकारों से यमुनोत्री धाम का पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।

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    Yamunotri Dham: शीतकाल के लिए बंद हुए विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Yamunotri Dham विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट भाई दूज के पावन पर्व पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। यमुना की डोली के मंदिर से बाहर निकलते ही जयकारों से यमुनोत्री धाम का पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा, जिसके बाद शनिदेव की अगुआई में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ यमुना की डोली शीतकालीन प्रवास खरसाली के लिए रवाना हुईं। अब मां यहीं दर्शन देंगी। इससे पहले सुबह आठ बजे केदारनाथ धाम के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद किए गए।

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    भाई दूज पर यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत सुबह से ही पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। ठीक आठ बजे खरसाली से अपनी बहन यमुना को लेने के लिए शनि देव की डोली यमुनोत्री के लिए रवाना हुई, जो सुबह साढ़े दस बजे यमुनोत्री पहुंची।

    वहीं, यमुनोत्री धाम में सुबह से लेकर दोपहर तक पहुंचे श्रद्धालुओं ने मां यमुना के दर्शन किए, जिसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की गई। अभिजीत मुहूर्त के शुभ अवसर पर दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर धाम के कपाट बंद कर दिए गए।

    गंगोत्री के धाम पहले ही हो चुके हैं बंद

    इससे पहले शुक्रवार को अन्नकूट पर्व पर दोपहर 11 बजकर 45 मिनट पर गंगोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए गए थे। मां गंगा की डोली जयकारों के साथ मुखवा के लिए रवाना हुई। कपाट बंद होने के बाद से ही देश-विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास मुखीमठ (मुखवा) में ही कर सकेंगे।

    यह भी पढें- Chardham Yatra 2021: शीतकाल के लिए बंद हुए केदारनाथ धाम के कपाट, बड़ी संख्या में उमड़े श्रद्धालु

    शीतकाल के लिए बंद गौरा माई के कपाट

    गौरीकुंड स्थित गौरा माई के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण एवं रीति-रिवाज के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। अब शीतकाल के छह माह तक उनकी पूजा-अर्चना गौरी गांव के चंडिका मंदिर में होगी। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्तों ने मां गौरा के दर्शन किए।

    शनिवार सुबह पांच बजे पुजारी ने गौरीकुंड मंदिर में मां गौरा की विशेष पूजा-अर्चना कर भोग लगाया। इसके बाद ही कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां गौरा की भोगमूर्ति को डोली में स्थापित कर शृंगार किया गया। ठीक आठ बजे पुजारी विमल जमलोकी एवं ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति-रिवाज के साथ भक्तों के दर्शनार्थ गौरा माई के कपाट बंद किए। मां की डोली ने मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद गौरी गांव के लिए रवाना हुई। इस दौरान भक्तों एवं क्षेत्रीय ग्रामीणों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। गौरा माई के गौरी गांव पहुंचते ही ग्रामीणों ने फूल मालाओं एवं अक्षत से जोरदार स्वागत किया। मां की भोगमूर्ति को चंडिका मंदिर में विराजमान किया गया। अब शीतकाल के छह माह तक यहीं गौरामाई की पूजा-अर्चना होगी। इस अवसर पर मठापति संपूर्णानंद गोस्वामी, पुजारी विमल जमलोकी, मंदिर प्रबंधक कैलाश बगवाडी, संरपच वन पंचायत विष्णु दत्त समेत गौरी गांव के ग्रामीण उपस्थित थे।