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    World Poetry Day: कोरोना के कांटों में भी खिलते रहे कविता के गुल, जानिए क्या कहते हैं दून के कवि

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sun, 21 Mar 2021 06:47 PM (IST)

    World Poetry Day आमजन से लेकर सरकार तक अपनी बात को कविताओं के माध्यम से एक कवि बखूबी पहुंचाता है। पहले जिन कविताओं को कवि विभिन्न स्थानों पर मंच के माध्यम से प्रस्तुत करते थे अब उसका स्वरूप भी बदल चुका है।

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    कोरोना के कांटों में भी खिलते रहे कविता के गुल।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। World Poetry Day आमजन से लेकर सरकार तक अपनी बात को कविताओं के माध्यम से एक कवि बखूबी पहुंचाता है। पहले जिन कविताओं को कवि विभिन्न स्थानों पर मंच के माध्यम से प्रस्तुत करते थे, अब उसका स्वरूप भी बदल चुका है। यानी ऑनलाइन मंच के माध्यम से कविता को श्रोताओं तक पहुंचाया जा रहा है।

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    कवि सम्मेलन का यह स्वरूप बीते साल से ज्यादा बदल चुका है। यह बदलाव कोरोनाकाल के चलते देखा गया। खास बात ये है कि हिंदी, गढ़वाली के कवि इंटरनेट मीडिया के माध्यम से समाज को जागरूक करते आ रहे हैं। सामूहिक आयोजनों से परहेज कर कवियों ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से अपनी कविता व रचनाओं को कभी भी खामोश नहीं रहने दिया। वे बेहद उत्साह के साथ अपनी रचनाओं को परोस रहे हैं। कोरोना के इस दौर में जब विभिन्न सामूहिक आयोजन किए जा रहे हैं। फेसबुक पेज, वीडियो मीट, ऑनलाइन कवि सम्मेलन के माध्यम कवि अपनी प्रस्तुतियां पेश कर खूब वाहवाही बटोर रहे हैं। 

    क्या कहते हैं दून के कवि

    कवि व साहित्यकार पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी कहते हैं कि विश्व के सबसे पुराने कवि वाल्मीकिसे युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। उनकी रचनाओं से विश्वभर में बड़े-बडे कवि मुरीद रहे हैं। युवा आज ऑनलाइन माध्यम से भी अपनी प्रतिभा को जग जाहिर करते हैं। उन्हें पुराने कवियों से प्रेरणा लेनी चाहिए। 

    ऑनलाइन कविता-पाठ से जगी एक नई आशा

    जनकवि डॉ. अतुल शर्मा का कहना है कि ऑनलाइन कविता-पाठ से एक नई आशा जगी है। कोरोनाकाल में भी लोग जब संशय में थे, कविता उस वक्त भी मुखर थी। कवियों ने श्रोताओं तक कविता पहुंचाने के लिए ऑनलाइन माध्यम चुना और अब यह इतना बढ़ चुका है कि कवि से लेकर श्रोता इसेे जुड़ा रहना चाहता है। 

    ऑनलाइन माध्यम से जिंदा रही कविताएं

    ङ्क्षहदी कवि प्रतिभा कटियार का कहना है कि कोरोनाकाल में जब सबकुछ थम सा गया था उस वक्त ऑनलाइन माध्यम से प्रस्तुत कविताएं जिंदा रही। एक जगह बैठा श्रोता देश-विदेश के किसी भी कोने में प्रस्तुत कविताओं का आनंद ले सकता है। मंचों पर कवि श्रोताओं की तालियां बटोरते थे, ऑनलाइन मंच पर उनके लाइक और कमेंट हौसला बढ़ाती हैं। 

    युवाओं के लिए बेहतर जरिया

    हिंदी और गढ़वाली युवा कवि खुशबू गैरोला का कहना है कि आजकल ऑनलाइन माध्यम युवाओं को प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए बेहतर जरिया बनता जा रहा है। ऑनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजन बेहतर है, घर बैठे भी कोई इसमें शामिल हो सकता है।  

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