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    क्यों अंतरराष्ट्रीय बाजार में है सल्लू सांप की डिमांड, शिकार के चलते हो रहा विलुप्त; आइए बचाएं इस शर्मीले जीव को

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sat, 19 Feb 2022 01:45 PM (IST)

    World Pangolin Day 2022 अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने सल्लू सांप को इसे संकटग्रस्त घोषित करते हुए इसके संरक्षण की आवश्यकता बताई है। साथ ही भारतीय वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत पैंगोलिन को सुरक्षा प्रदान की गई है।

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    क्यों अंतरराष्ट्रीय बाजार में है सल्लू सांप की डिमांड, शिकार के चलते हो रहा विलुप्त।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। World Pangolin Day 2022 पैंगोलिन यानी सल्लू सांप बेहद शर्मीला जीव है। इसका नाम जरूर सल्लू सांप है, लेकिन यह सांप बिल्कुल भी नहीं है। हर वर्ष फरवरी के तीसरे शनिवार को विश्व पैंगोलिन दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य इस दुर्लभ प्रजाति के जीव के संरक्षण को लेकर जागरूकता लाना है। किसी को नुकसान न पहुंचाने के बावजूद पैंगोलिन की संख्या घटती जा रही है। यह जीव संकटग्रस्त प्रजाति में शामिल है। वन्य जीव तस्करों के कारण यह जीव अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। इसके अंगों की तस्करी कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में अवैध रूप से बेचा जाता है।

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    गहरे-भूरे, पीले-भूरे या रेतीले रंग का शुंडाकार जीव पैंगोलिन उत्तराखंड में पाया जाता है। शरीर पर शल्क होने के कारण इसे वज्र शल्क नाम से भी जाना जाता है और कीड़े-मकोड़े खाने से इसको चींटीखोर भी कहते हैं। पैंगोलिन प्रजाति का अस्तित्व अब खतरे में है। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने इसे संकटग्रस्त घोषित करते हुए इसके संरक्षण की आवश्यकता बताई है। साथ ही भारतीय वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत पैंगोलिन को सुरक्षा प्रदान की गई है। विभिन्न संस्थाएं लोग को यह संदेश देने का प्रयास करती रहती हैं कि पैंगोलिन का जैव विविधता में महत्वपूर्ण स्थान है। उत्तराखंड वन विभाग और भारतीय वन्यजीव संस्थान संयुक्त रूप से पैंगोलिन के संरक्षण के लिए प्रयासरत हैं। उत्तराखंड में पैंगोलिन संभावित क्षेत्रों को चिह्नित किया जा रहा है और उनके अनुकूल वातावरण मुहैया कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।

    पैंगोलिन का निवास स्थल

    पैंगोलिन जलीय स्रोतों के आसपास जमीन में बिल बनाकर एकाकी जीवन व्यतीत करते हैं। चींटी और दीमक खाने वाला यह जीव किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता।

    अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग

    हमारे देश में कुछ फकीर-तांत्रिक टोना-टोटका के लिए पैंगोलिन का शिकार कर देते हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके मांस की खासी डिमांड है। चीन व वियतनाम जैसे कई देशों के होटलों व रेस्तरां में बेधड़क परोसा जाता है। इसके अलावा पैंगोलिन की चमड़ी, शल्क, हड्डियां व अन्य शारीरिक अंगों की भी तस्करी की जाती है। दूसरी ओर चीन व थाईलैंड आदि देशों में इसके शल्कों का उपयोग यौनवर्धक औषधि बनाने में भी किया जाता है।

    लोग को किया जाएगा जागरूक

    शनिवार को देहरादून चिड़ियाघर, माटी संस्था, उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड और यूसर्क की ओर से पैंगोलिन दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न स्थानों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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