पेयजल निगम एमडी पर गोपनीय रिपोर्ट गायब करने का लगा आरोप
पेयजल निगम के एमडी पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। निगम में अराजकता फैलाने के साथ ही अभियंताओं ने उन पर गोपनीय रिपोर्ट गायब करने का आरोप लगाया है।
By Edited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 07:48 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 02:35 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। निगम में अराजकता फैलाने के साथ ही अभियंताओं ने उन पर गोपनीय रिपोर्ट गायब करने का आरोप लगाया है। अभियंताओं ने निगम प्रबंधन पर शोषण के आरोप लगाते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। साथ मुख्यमंत्री और पेयजल सचिव से कार्रवाई की मांग की है। अधिशासी अभियंता एसोसिएशन ने विभिन्न मांगों को लेकर निगम प्रबंधन के खिलाफ हुंकार भर दी है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रविवार को हुई बैठक में एसोसिएशन ने कार्मिकों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की और निगम प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण कुमार राय ने आरोप लगाया कि निगम प्रबंधन समस्याओं को दूर करने के बजाय नित अराजकता कर रहा है। बैठक में एकमत से यह निर्णय लिया गया कि अभियंताओं की समस्याओं को मुख्यमंत्री और पेयजल सचिव के समक्ष रखा जाएगा। अगर समस्याओं का समाधान 15 दिन के भीतर नहीं किया गया तो अधिशासी अभियंता एसोसिएशन प्रदेशभर में आंदोलन करेगी।
एसोसिएशन के महासचिव दीपक मलिक ने कहा कि पेयजल निगम में विभिन्न अभियंता संवर्ग में पद रिक्त चल रहे हैं, लेकिन प्रबंध निदेशक वरिष्ठता विवाद उत्पन्न कर पदोन्नति प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं। मांग की कि एक सप्ताह में अधिशासी अभियंता के रिक्त पदों पर डीपीसी की जाए। साथ ही अधिशासी अभियंताओं की निष्पक्ष वरिष्ठा सूची जारी की जाए। आरोप लगाया कि प्रबंध निदेशक चहेतों को लाभ लेने के लिए वरिष्ठता सूची से छेड़छाड़ कर रहे हैं। कहा कि अधिशासी अभियंताओं की गोपनीय रिपोर्ट भेजे जाने के बावजूद इसे अग्रसारित नहीं किया गया और रिपोर्ट गायब होने की बात कही जा रही है।
यह आपराधिक कृत्य है, इस पर एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। शासन कार्मिक विभाग राज्याधीन सेवाओं में तैनात कार्मिकों की वार्षिक गोपनीय प्रवृष्टि के लिए समय-सारिणी निर्धारित की गई थी। जिसमें स्वीकृर्ता अधिकारी की टिप्पणी को 30 सितंबर की तिथि निर्धारित थी, जबकि प्रबंध निदेशक ने इसे परिवर्तित करते हुए 15 मई कर दिया गया। निगम प्रबंधन की ओर से चहेते और भ्रष्ट अधिकारियों को पुनर्नियुक्ति दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसका एसोसिएशन कड़ा विरोध करती है। कहा कि त्रुटिपूर्ण कार्य के कारण वसूली के निर्धारण संबंधी आदेश पूर्णत: एक पक्षीय हैं और इसमें पांच करोड़ रुपये से अधिक निविदा समिति के अध्यक्ष (प्रबन्ध निदेशक) पर दंड का प्राविधान नहीं रखा गया है। जो अन्य कार्मिकों के साथ अन्याय है।
आरोप लगाया कि निगम के तत्कालीन अधिकारियों की ओर से कनिष्ठ अभियंता, सहायक अभियंताओं के पदों पर नियुक्त पूरे बैच को एक साथ नियुक्ति न प्रदान करते हुए टुकड़ों में नियुक्ति प्रदान की गई। इससे अभियंताओं के सेवा संबंधी मामलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बैठक में सुजीत कुमार विकास, संजय सिंह, मोहम्मद मिशम, पीसी गौतम, आरसी मिश्रा, वीके कौशिक, जितेंद्र सिंह देव, वसीम अहमद, दिनेश कुमार बंसल, एम मुस्तफा, सोहित बर्नवाल, अनुपम रतन, आलोक कुमार आदि शामिल हुए।
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