उत्तरकाशी में फंसे मजदूरों की जिंदगी बचाने को दूसरे विकल्पों पर भी तेजी से हो रहा काम, दाएं छोर से बनेगी ड्रिफ्ट टनल
Uttarkashi Tunnel Operation Updates उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए जैसे-जैसे मुख्य सुरंग से दिक्कतें बढ़ रही थीं वैसे ही बचाव कार्य में जुटी एजेंसियों ने दूसरे विकल्पों पर भी तेजी से काम शुरू कर दिया था। इसमें सबसे नया विकल्प मुख्य सुरंग के दाएं छोर से ही 60 मीटर की ड्रिफ्ट टनल बनाने का रखा गया।
राज्य ब्यूरो, उत्तरकाशी। Uttarkashi Tunnel Operation Updates: उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए जैसे-जैसे मुख्य सुरंग से दिक्कतें बढ़ रही थीं, वैसे ही बचाव कार्य में जुटी एजेंसियों ने दूसरे विकल्पों पर भी तेजी से काम शुरू कर दिया था। इसमें सबसे नया विकल्प मुख्य सुरंग के दाएं छोर से ही 60 मीटर की ड्रिफ्ट टनल बनाने का रखा गया।
इसके लिए संयुक्त एजेंसियों ने कार्य को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया था। सेना की 201 इंजीनियरिंग रेजीमेंट ने इसके लिए फ्रेम तैयार कर लिए थे।
इस क्रम में तैयार की गई छह योजनाएं
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में चारधाम आल वेदर रोड परियोजना के अंतर्गत बन रही सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने में बीते तीन दिन बेहद अहम रहे। 17 नवंबर को टनल में 900 एमएम के पाइप डालने के बाद आई बाधा को देखते हुए बचाव कार्यों में जुटी विशेषज्ञ एजेंसियों ने अन्य योजनाओं पर भी काम शुरू कर दिया। इस क्रम में शुरू में छह योजनाएं तैयार की गई।
- पहली योजना के अंतर्गत सुरंग के मुख्य द्वार वाले हिस्से से ड्रिलिंग का काम फिर से टेलीस्कोपिक विधि से 800 एमएम के पाइप डालने का किया गया। यहां औगर मशीन के जरिये ड्रिलिंग का कार्य शुरू किया गया। यह कार्य एनएचआइडीसीएल कर रहा है। यद्यपि इसमें एनडीआरएफ, सेना व ओएनजीसी समेत अन्य एजेंसियों के सहयोग लिया जा रहा है।
- दूसरी योजना वर्टिकल (लंबवत) ड्रिलिंग की बनाई गई। यह कार्य आरजेवीएनएल को साैंपा गया। इसके लिए सुरंग के ऊपर एक स्थान भी चिहि्नत कर लिया गया, जहां से यह ड्रिलिंग की जानी थी। इसके लिए यहां तक सड़क बनाने के साथ ही ड्रिलिंग मशीन व पाइप मौके पर पहुंचाए गए। आरजेवीएनल ने यहां कार्य करने की अनुमति भी मांगी थी। यद्यपि यहां से कार्य शुरू नहीं हुआ।
- तीसरी योजना भी इसी स्थान के निकट दूसरी वर्टिकल ड्रिलिंग की थी। यहां से आरवीएनएल ने लाइफ लाइन पाइप बिछाना था। यद्यपि इस पर भी काम नहीं हो पाया। चौथी योजना सुरंग के दूसरे सिरे, यानी बड़कोट छोर से ड्रिलिंग करने की थी। यह कार्य टीएचडीसी ने शुरू कर दिया है। इस कड़ी में यहां नौ मीटर लंबी माइक्रोटनल तैयार कर ली गई है।
- पांचवी कार्ययोजना बड़कोट सिरे से वर्टिंगल ड्रिलिंग की रही। यहां ओएनजीसी ने वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए स्थान चयनित करते हुए मशीनें पहुंचाने का कार्य शुरू कर दिया।
- छठवीं कार्ययोजना होरिजेंटल परपेंडिकुलर ड्रिलिंग की थी। इस कार्य को आरवीएनएल ने करना था। यद्यपि यह कार्य शुरू नहीं किया गया।
- सातवीं कार्ययोजना शुक्रवार को बनाई गई। इस कार्ययोजना को सेना, टीएचडीसीएल, कोल इंडिया और एनचआइडीसीएल के सहयोग से तैयार किया गया। सेना ने इसके लिए 15 फ्रेम भी तैयार कर लिए।
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