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पदोन्नति में आरक्षण को लेकर कर्मचारी सड़कों पर, दफ्तरों में पसरा सन्नाटा

जनरल-ओबीसी कर्मचारियों के सड़क पर उतरने का असर सचिवालय से लेकर तमाम सरकारी विभागों में दिखा। सचिवालय में जहां कई अनुभागों में सन्नाटा पसरा रहा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 03:29 PM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 03:29 PM (IST)
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर कर्मचारी सड़कों पर, दफ्तरों में पसरा सन्नाटा
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर कर्मचारी सड़कों पर, दफ्तरों में पसरा सन्नाटा

देहरादून, जेएनएन। पदोन्नति में आरक्षण को लेकर जनरल-ओबीसी कर्मचारियों के सड़क पर उतरने का असर सचिवालय से लेकर तमाम सरकारी विभागों में दिखा। सचिवालय में जहां कई अनुभागों में सन्नाटा पसरा रहा, तो कलेक्ट्रेट, विकास भवन, तहसील और आरटीओ में भी कामकाज प्रभावित रहा। इस दौरान विभिन्न कामों से आए फरियादियों को बैरंग लौटना पड़ा। 

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सात फरवरी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सरकार के रुख में अचानक आई तब्दीली को लेकर जनरल-ओबीसी कर्मचारी अब आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं। इसकी झलक शुक्रवार को कर्मचारियों ने सड़क पर उतर कर दिखा भी दिया। एक दिन के सामूहिक कार्य बहिष्कार के दौरान कर्मचारी सुबह सीधे दफ्तर पहुंचने के बजाए परेड ग्राउंड पहुंचने लगे। इसके चलते तमाम सरकारी विभागों में कामकाज प्रभावित रहा।

सचिवालय के कई अनुभागों में पूरे दिन कुर्सियां खाली पड़ी रहीं। कलेक्ट्रेट, तहसील, विकास भवन, आरटीओ, लोक निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग के कार्यालयों समेत तमाम दफ्तरों में सन्नाटा पसरा रहा। हालांकि विभागों में एससी-एसटी वर्ग समेत कई कर्मचारी अपनी सीटों पर बैठे दिखे, मगर अधिकांश महत्वपूर्ण पटलों पर कर्मचारियों के न होने से विभिन्न कामों से आए लोगों को निराश लौटना पड़ा। 

हठ नहीं छोड़ी तो तय है हड़ताल 

उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी और महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि यह तो अभी शुरुआत है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसला का सम्मान करते हुए पदोन्नति प्रक्रिया बहाल नहीं की तो बीस की महारैली ऐतिहासिक होगी। इस रैली में अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी जाएगी। काफी हद तक संभव है कि रैली के अगले दिन 21 फरवरी से हड़ताल का आह्वान कर दिया जाए।

वाहन चालक संघ ने दी चक्का जाम की चेतावनी 

सामूहिक कार्य बहिष्कार पर मुख्य सचिव की नाराजगी से आशंका बढ़ गई है कि आंदोलन में शामिल होने वाले कर्मचारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इस पर राजकीय वाहन चालक संघ ने मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंप कर कहा कि यदि कर्मचारियों पर दमनात्मक कार्रवाई की गई तो राजकीय वाहन चालक संघ प्रदेश में चक्का जाम कर देगा। संघ के महामंत्री संदीप मौर्य ने कहा कि जनरल-ओबीसी कर्मचारियों को उनका हक देने में एक-एक दिन की देरी बर्दाश्त से बाहर होगी। 

समानता मंच ने जेपी नड्डा को लिखा पत्र 

अखिल भारतीय समानता मंच ने आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र भेजा है। पत्र में अध्यक्ष श्याम लाल शर्मा और महासचिव जगदीश प्रसाद कुकरेती ने कहा कि आरक्षित श्रेणी से उन सभी लोगों को बाहर किया जाए जो आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक रूप से संपन्न हैं। जिस तरह से दल एससी-एसटी वर्ग को लेकर सीमा से अधिक पक्षपात करने लगी है। बिहार में पार्टी इसका नुकसान झेल चुकी है। अब उत्तराखंड में भी सरकार के रवैये से ऐसा माहौल बन रहा है। कम से कम सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर स्थिति बिल्कुल स्पष्ट कर दी है। ऐसे में न्यायालय का सम्मान करते हुए जनरल-ओबीसी कर्मचारियों को उनका हक देने में विलंब नहीं होना चाहिए। 

सुबोध से एससी-एसटी, रेखा से जनरल-ओबीसी कर्मी नाराज 

सीधी भर्ती में रोस्टर प्रणाली की समीक्षा को गठित समिति के सदस्यों के रुख पर भी कर्मचारी संगठनों में आक्रोश बढऩे लगा है। उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने जहां राज्य मंत्री रेखा आर्य को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। वहीं, उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। 

जनरल-ओबीसी कर्मचारी लंबे समय से सीधी भर्ती के नवीन रोस्टर प्रणाली को यथावत रखते हुए पहला पद अनारक्षित रखने की मांग पर अड़े हुए हैं। वहीं, एससी-एसटी फेडरेशन पहले पद को आरक्षित करने की मांग कर रहा है। संगठनों में चल रही खींचतान को देखते हुए सरकार ने बीते सितंबर महीने में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी। 

इस कमेटी में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और राज्य मंत्री रेखा आर्य को बतौर सदस्य शामिल किया गया है। कर्मचारी संगठनों कहना है कि समिति गठित कर उनके हित में फैसला लेने के बजाए मामले को लटकाए रखना ही सरकार की मंशा थी। यदि ऐसा नहीं होता तो समिति को रिपोर्ट देने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई होती। अब छह महीने बीतने को हैं और अब भी नहीं लग रहा है कि समिति हाल-फिलहाल में रिपोर्ट देने वाली है।

जनरल ओबीसी इंप्लाइज  एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि मंत्रियों को वर्ग विशेष के बारे में बात करने के बजाए सर्व समाज का हित का देखना चाहिए। लेकिन रेखा आर्य ने बैठक में न जाकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। वहीं, उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करम राम ने कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए वर्ग विशेष का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। 

दीपक जोशी से मांगा सचिवालय संघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा 

पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सचिवालय संघ के जनरल-ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग में बंटना लगभग तय हो गया है। एससी-एसटी कार्मिक संघ ने बुधवार को दिए गए नोटिस के जवाब में दीपक जोशी से सचिवालय संघ के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र मांगा है। आरोप लगाया कि उन्हें अलग करने का रास्ता उन्होंने ही तैयार किया है। वहीं, सचिवालय संघ के अध्यक्ष ने कहा कि संघ की कार्यकारिणी की 17 फरवरी को होने वाली बैठक में एससी-एसटी कार्मिक संघ बनाने वाले सदस्यों की सदस्यता पर निर्णय लिया जाएगा। 

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बता दें, पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को खत्म करने की लड़ाई लड़ रहे उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी सचिवालय संघ के भी अध्यक्ष हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से चंद दिन पूर्व सचिवालय संघ के एससी-एसटी वर्ग के कर्मचारियों ने पदोन्नति में आरक्षण देने की मांग को लेकर संगठन बना लिया और चार फरवरी को सचिवालय संघ को पत्र भेजकर कहा कि मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो एससी-एसटी वर्ग के कर्मचारी संघ से सामूहिक त्याग पत्र दे देंगे। इस पर सचिवालय संघ ने आपत्ति दर्ज कराते हुए बुधवार को अलग संगठन बनाने वाले बीस सदस्यों को नोटिस देकर जवाब देने को कहा था।

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वहीं, नोटिस का जवाब देते हुए एससी-एसटी कार्मिकों ने कहा कि दीपक जोशी सचिवालय संघ के अध्यक्ष हैं। संघ में सभी वर्गों के कर्मचारी हैं। लेकिन उन्होंने एससी-एसटी वर्ग के हितों की अनदेखी कर जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन बनाया, जिसके वह प्रांतीय अध्यक्ष हैं। ऐसे में कर्मचारियों में विभेद तो वही पैदा कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें तत्काल सचिवालय संघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

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